Share

31 अक्टूबर को देवउठनी एकादशी त्योहार मनाया जाएगा। बता दें कि कार्तिक महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को ही देवउठनी एकादशी कहा जात है। भगवन विष्णु चार महीने तक सोने के बाद इस दिन जागते हैं।

इस दिन की खास बात यह है कि भगवान विष्णु के जागने के साथ ही माता तुलसी का विवाह होता है। आइए जानते हैं तुलसी के विवाह से जुड़ी कुछ अहम बातें:

  • विवाह के समय तुलसी के पौधे को आंगन, छत या जहां भी पूजा कर रहे हों उस जगह के बीचोंबीच रखें।
  • तुलसी का मंडप सजाने के लिए आप गन्ने का प्रयोग कर सकते हैं।
  • विवाह के रिवाज शुरू करने से पहले तुलसी के पौधे पर चुनरी जरूर चढ़ाकर लें।
  • गमले में सालिग्राम जी रखें दें, लेकिन उन पर चावल न चढ़ाएं। उन पर तिल चढ़ाया जाता है।
  • तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
  • अगर विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आपको आता है तो वह अवश्य बोलें।
  • विवाह के दौरान 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करनी होती है।
  • प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और उसका वितरण जरूर करें।
  • पूजा खत्म होने पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।
  • इस लोक आह्वान का भावार्थ है – हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।

About The Author

Share

You cannot copy content of this page