भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल
चूरू जितेश सोनी (हैलो बीकानेर न्यूज़)।प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. नीलम गोयल नेबताया कि चूरू जिले में 3 लाख ग्रामीण परिवारों के पास72 लाख बीघा कृषि योग्य जमीन है | राजस्थान राज्य मेंचूरू एवं बीकानेर दो ऐसे जिले हैं जिनकी जमीन पर कोईनदी नहीं बहती है चूरू में पानी की निहायत कमी कीवजह से किसान वर्ष भर में एक फसल भी मुश्किल से लेपाते हैं। चूरू को कृषि से आमदनी न के बराबर है। परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने बताया कि दो दशक पूर्व ही यमुना अपर बोर्ड ने राजस्थान के दो जिलों भरतपुर व चूरूको यमुना राजस्थान लिंक के मार्फ़त 1119 लाख घन मीटरपानी देना स्वीकृत कर लिया था। भरतपुर में इस हेतु नहरेंबिछी और पानी भी मिला जिसकी वजह से वहां के किसानकम से कम दो फसल तो साल भर में लेते ही हैं। लेकिनचूरू जिले में यमुना-राजस्थान लिंक पर अभी तक भी कोईकाम नहीं हो पाया है। श्रीगंगानगर जिलें में इंदिरागांधी नहरकी वजह से वहां के क्षेत्रीय किसान साल में दो से अधिकफसल लेते हैं। श्रीगंगानगर जिलें के किसान परिवारों कीऔसत आय 2 लाख रूपये सालाना है। इंदिरागांधी नहर मेंएक्सटेंशन होकर भी चूरू जिले को पानी मिलने की योजनापर भी काम नहीं हुआ है। यदि इन दो योजनाओं पर समयपर ही कार्य हुआ होता तो 10 वर्ष पूर्व ही चूरू जिले को पानी मिल रहा होता, और चूरू जिले के 3 लाख ग्रामीणपरिवारों की सालाना यह आय 5 लाख रूपये से लेकर 9लाख रूपये तक होती जोकि वर्तमान में 40 हजार रूपये सेभी कम है।
परमाणु सहेली ने बताया कि ऐसा केवल ग्रामीणजनों मेंजागरूकता की कमी की वजह से है। ग्रामीणवासी जब भीअपने-अपने क्षेत्रों में पानी व बिजली से सम्बंधित योजनाएंआएं तो उन योजनाओं का नैतिक समर्थन करें। ये योजनाएं ही कृषि में सिंचाई के लिए, पीने के लिए और अन्य केपानी की व्यवस्थाएं करती हैं। साथ ही इन्हीं योजनाओं सेहर प्रकार के रोजगार व नौकरियां पैदा होती हैं। परिवारोंकी सालाना आमदनी बढ़ने से डिमांड बढ़ती है और फिर नए-नए उद्द्योग धंधें व कार्यालय।
परमाणु सहेली ने बताया कि राजस्थान में नदियों-जलाशयों-नहरों की स्वीकृत योजनाओं पर कार्य होना अतिआवश्यक हो गया है। राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की यमुना-राजस्थान-साबरमती लिंक योजना स्वीकृत होकर पडी हुई है। इंदिरागांधी नहर योजना क्रियान्वित है, लेकिन इसका एक्सटेंशन कार्य रुका हुआ है। उधर दक्षिण-पूर्वी भाग के लिए पूर्वी नदी नहर योजना स्वीकृत है। यदि ये योजनाएं सुचारु रूप से क्रियान्वित होती हैं तो इससे राजस्थान की 180 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को बारोमॉस पानी मिल सकेगा। किसान अपनी जमीन से साल में तीन बार फसल लेकर समृद्ध हो सकेंगे। ब्राह्मणी-बनास-चम्बल अन्त र्सम्बन्ध के क्रियान्वयन से पहले ही क्षेत्रीय लोगों का इस योजना के प्रति विरोध प्रारम्भ हो गए हैं। जबकि नदियाँ आपस में जुड़ना तो प्रकृति संगत है। राजस्थान के डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर का कुम्भ का मेला हर साल सोन-माही-जाखम के संगम की याद में हर साल लगता है।
परमाणु सहेली का कहना है कि वह अपने ग्रामीणजन जागरूकता अभियान के अंतर्गत राजस्थान राज्य के दो करोड़ ग्रामीण वयस्कों को जागरूक करेंगी।