जयपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी॰चिदंबरम की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की वह तो मैं कह चुका हूं देश में अघोषित आपातकाल के तरह की स्थिति पैदा कर रखी है ।
इन लोगों ने और यह घनश्याम तिवारी तो बहुत पहले ही बोल चुके थे उनकी बातों में दम था और लालकृष्ण आडवाणी साहब तो सरकार बनते ही 6 महीने के अंदर अंदर ही बोल चुके थे कि आज जो माहौल बन रहा है लगता है कि हम आपातकाल के दौर को याद करने लग गए हैं, यह आपको याद होगा पूरे मीडिया में आया था इसलिए यह सरकार जिस रूप में अघोषित आपातकाल लगा चुकी है।
चिदंबरम साहब को जिस रूप में अरेस्ट किया गया उसकी जरूरत नहीं थी एक ऑप्शन होता है कि मैं लोअर कोर्ट से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जाऊ फिर हाईकोर्ट जाऊं, हाई कोर्ट से मैं सुप्रीम कोर्ट में जाऊं सुप्रीम कोर्ट अगर उनके खिलाफ में फ़ैसला दे देता उसके बाद में वह कहीं जाते तो उनको अरेस्ट करते तो समझ में आने वाली बात थी, जिस रूप में दीवारों को फांद कर के गए हैं तमाशा खड़ा किया गया उसकी कोई जरूरत नहीं थी मेरा मानना है कि यह क्राइसिस है उससे ध्यान हटाने के लिए, यह सब नाटक किए जा रहे हैं जनता सब समझ रही है।
Talked to media at Vidhansabha
Talked to media at Vidhansabhaकश्मीर में 20 दिन से आज वहां पर 370 और 35A को हटाने के बाद में क्या हो रहा है देश को पता ही नहीं है ऐसे मौके पर हमेशा जब कभी पहले भी कोई ऐसे मौके आए जब कोई देश पर संकट भी आया है या बांग्लादेश की आजादी का युद्ध चल रहा था तो जो सत्ता में जो लोग होते हैं उस वक्त इंदिरा जी थी मान लीजिए तो कई विपक्ष के नेताओं को भेजा दुनिया भर के मुल्कों में बताने के लिए कि भाई हमारे वहां पर शांति है, सद्भाव है पाकिस्तान की जो हरकते हैं बांग्लादेश के अंदर वह पूरे पाकिस्तान के रूप में था, तो उसके लिए जिस रूप में शरणार्थी हमारे मुल्क में आ रहे हैं और हमारे मुल्क में एक करोड़ लोग शरणार्थी आ चुके हैं तो यह कायदा होता है बताने का कि दुनिया के मुल्क भी यह भावना रखें कि हम जो कार्रवाई कर रहे हैं वो सही कार्यवाही है। इस सरकार को खुद को चाहिए था वह खुद विपक्षी पार्टी के दलों के नेताओं का डेलिगेशन बनाकर भेजती और यह कहती जो दावे हम कर रहे हैं मीडिया के माध्यम से उन दावों में सच्चाई है और आप जाकर देखिएगा, विपक्षी पार्टियां जाकर देखेगी तो वो आकर वापस कहेगी पूरे देश को बताएगी तो उससे देशवासियों का कॉन्फिडेंट बढ़ेगा यह कायदा होता है। 20 दिन के लगभग हो गए हैं और जिस रूप में वहां क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, लोग घरों में बंद है या मतलब टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट की सेवाएं बंद है किसी भी एक भी सिटीजन को इस प्रकार से बंद करने का अधिकार सरकार को नहीं होता यह हमारे संविधान के अंदर मूलभूत अधिकारों में है पर जिस प्रकार अपने माहौल बनाया है जैसे देशभक्त लोग यही है हम तो देशभक्त है ही नहीं और आम जनता को भी गुमराह करने में यह लोग कामयाब हो गए हैं वह तो धीरे-धीरे जनता समझेगी कि सच्चाई क्या है तब जाकर के यह लोग अपने आप एक्सपोज होंगे, विजय हमेशा सच्चाई की होती है पर क्योंकि जब देशभक्ति की बात हो, राष्ट्रवाद की बात हो, धर्म के नाम पर राजनीति की बात हो और सेना के पराक्रम की बात हो तो पूरा मुल्क एकजुट रहता है उसमें भी ये डिवीजन कर रहे हैं, उसमें भी ये बताते हैं कि हम तो राष्ट्रभक्त हैं, हम देशभक्त हैं और हम सेना के पराक्रम को सलाम करते हैं और विपक्षी पार्टी वाले हमारी बातों को नहीं मान रहे हम जो सोचते हैं वह उनकी सोच नहीं है। यह बहुत गलत धारणा उनकी है पूरा मुल्क चाहे कोई पार्टी हो, कोई धर्म हो, कोई वर्ग हो तमाम लोग हमेशा इस राष्ट्रभक्ति के लिए, राष्ट्रवाद के लिए हमेशा एकजुट रहे है तब भी यह ऐसा माहौल बनाने में कामयाब हो गए हैं इसलिए इनको बहुत घमंड और अहम आया हुआ है वो उतरेगा कभी ना कभी। आज राहुल गांधी जी विपक्ष की पार्टियों के साथ जाते हैं इनको खुद को चाहिए मना करने के बजाए, इनको चाहिए कि उन सबको वो सुविधाएं प्रोवाइड करें वहां पर कहां घूम सके जनता से बात कर सके जिससे कि वहां की जनता को भी लगे की डेमोक्रेसी आज की वहां पर मजबूत है और देखिये विपक्षी पार्टियों के लोग मिलने आए हैं हमसे और सत्ता वाले लोग तो मिलते ही रहते हैं पहले डोभाल साहब तो गए थे वहां पर, गवर्नर साहब वहां पर बैठे हुए ही है तो लगे वहां की जनता को कि कोई बात नहीं हम अपनी भावना कहेंगे हो सकता है सरकार उस ढंग से आगे बढ़ेगी, फैसला करेगी हमारे हित के अंदर यह भावना होनी चाहिए उसके बजाय आप उनको रोकने की बात करो, मैं समझता हूं किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता।सवाल: सर चिदंबरम जी की जिस रूप में गिरफ्तारी की गई…सवाल: वह तो मैं कह चुका हूं देश में अघोषित आपातकाल के तरह की स्थिति पैदा कर रखी है इन लोगों ने और यह घनश्याम तिवारी तो बहुत पहले ही बोल चुके थे उनकी बातों में दम था और लालकृष्ण आडवाणी साहब तो सरकार बनते ही 6 महीने के अंदर अंदर ही बोल चुके थे कि आज जो माहौल बन रहा है लगता है कि हम आपातकाल के दौर को याद करने लग गए हैं, यह आपको याद होगा पूरे मीडिया में आया था इसलिए यह सरकार जिस रूप में अघोषित आपातकाल लगा चुकी है, बड़े-बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट लोग गोदरेज की तरह जो सम्मानित लोग हैं राहुल बजाज है मैं समझता हूं कि अधिकांश इंडस्ट्रियलिस्ट ने बताया देश की स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है अर्थव्यवस्था के रूप में, चाहे वह ऑटोमोबाइल सेक्टर हो, रियल स्टेट हो, छोटे-मोटे उद्योग हो सभी परेशान है पर वो डरते हैं कि हम ज्यादा बोलेंगे तो यह कहेंगे कि राष्ट्र विरोधी है इसलिए आज आम व्यापारी, उद्योगपति चाहे वह छोटा है या बड़ा है बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि हमें भी घोषित कर दिया जाएगा की हम भी राष्ट्र विरोधी है। आज कोई एक्टिविस्ट भी बोलता है जो सरकार के खिलाफ बोलेगा वह राष्ट्र विरोधी है जब जिस मुल्क में यह माहौल बन जाए आप सोच सकते हो कि लोग अपनी जुबान को कैसे खोलेंगे, इस माहौल में आज यह देश चल रहा है और उसी रूप में चिदंबरम साहब की भी घटना हुई है। यह अर्थव्यवस्था की जो दुर्गति हुई है कल नीति आयोग के उपाध्यक्ष को बोलना पड़ा कि 70 साल में ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी। सारा उद्योग जगत बोल रहा है, आरबीआई के गवर्नरस, इकॉनमी के एडवाइजर टू प्राइम मिनिस्टर और नीति आयोग जो उनके खुद के नियुक्त किए हुए लोग थे वह भी बोलने लग गए कि देश किस दिशा में जा रहा है किसी को नहीं मालूम तो क्या सरकार, प्रधानमंत्रीजी और वित्त मंत्री जी की ड्यूटी है कि पूरे मुल्क को समझाए, कॉन्फिडेंस में ले की क्या हालात बने हुए हैं और हम कैसे ठीक करेंगे, कोई बताने को तैयार नहीं है। कल जो घोषणाए की है वित्त मंत्री जी ने वह खाली एक फेस सेविंग करी है कुछ नहीं है आने वाले वक्त में मालूम पड़ जाएगा उससे काम नहीं चलने वाला है उससे और ज्यादा कदम इनको उठाने पड़ेंगे अगर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो कल की घोषणाओं से काम नहीं चलने वाला है हर सेक्टर के लोगों की जो तकलीफ है उसको दूर करना पड़ेगा, हर सेक्टर के लोग राज्य सरकार से भी उम्मीद करते हैं कि हमारे लिए कुछ करें और राज्य सरकारों की स्थिति ऐसी कर दी है केंद्र सरकार ने जो हमारा सीएसएस फंड होता था या योजनाएं होती थी 90 प्रतिशत केंद्र सरकार और 10% राज्य सरकार देती थी, कई 80 परसेंट और 20 परसेंट होती थी, कई 70 परसेंट और 30 परसेंट होती थी उसको उल्टा कर दिया। तो राज्यों को इन्होंने कमजोर कर दिया वित्तीय रूप से हर सेक्टर चाहता है कि राज्य सरकार हमारी मदद करें वह मदद पूरी तरीके से कर नहीं पाएगी तो यह केंद्र सरकार की ड्यूटी है कि वह पूरी योजनाओं को देश को बताएं कि वास्तव में हमारे आने वाले भविष्य की योजनाएं आर्थिक रूप से पटरी पर आ जाएगा यह उनकी ड्यूटी होती है। चिदंबरम साहब को जिस रूप में अरेस्ट किया गया उसकी जरूरत नहीं थी एक ऑप्शन होता है कि मैं लोअर कोर्ट से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जाऊ फिर हाईकोर्ट जाऊं, हाई कोर्ट से मैं सुप्रीम कोर्ट में जाऊं सुप्रीम कोर्ट अगर उनके खिलाफ में फ़ैसला दे देता उसके बाद में वह कहीं जाते तो उनको अरेस्ट करते तो समझ में आने वाली बात थी, जिस रूप में दीवारों को फांद कर के गए हैं तमाशा खड़ा किया गया उसकी कोई जरूरत नहीं थी मेरा मानना है कि यह क्राइसिस है उससे ध्यान हटाने के लिए, यह सब नाटक किए जा रहे हैं जनता सब समझ रही है।धन्यवाद।
Ashok Gehlot ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಶುಕ್ರವಾರ, ಆಗಸ್ಟ್ 23, 2019