भारत एक ऐसा देश है जहां सदियों से विभिन्न धर्मों के लोग रहे है l ऐसा नहीं है कि इस एकता और सद्भाव को भंग करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया लेकिन ऐसा प्रयास करने वालों को हमेशा और सफल ही रहना पड़ा l प्रसिद्ध विधान मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने इस संबंध में बहुत यथार्थवादी विश्लेषण किया l
वह एक जगह लिखते हैं कि जब भारत में ब्रिटिश शासन से आजादी की लड़ाई शुरू हुई तो इस संघर्ष में मुस्लिम और हिंदू सभी समुदायों ने मिलकर हिस्सा लिया l हालांकि अंग्रेजों की साजिशों के कारण स्तुति कभी-कभी बिगड़ जाती थी और हिंदू मुस्लिम दंगे बढ़ जाते थे l एक बड़ी त्रासदी थी l प्रसिद्ध स्वतंत्र सेनानी मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने तो हिंदू-मुस्लिम एकता को स्वतंत्रता पर प्राथमिकता दी l लेकिन ऐसे देशभक्त लोगों के बाद लोगों ने कहीं नहीं सुनी और कुछ बाबू नेताओं ने देश को दो टुकड़ों में बांट दिया l हिंदू मुस्लिम एकता को भी नुकसान पहुंचाया जाने लगा इंसानों का खून इतना भागी अगर इन्हें खाई में फेंक दिया जाता तो शायद खून की एक धारा बह गई होतीl इस रक्त के बाद देशभक्त नेताओं ने टूटे हुए दिलों को जोड़ने की कोशिश की और धीरे-धीरे भाव बनने लगा l
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं सर सैयद अहमद खान और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की शिक्षाओं पर एक नजर डालना उपयोगी होगा यह देखने के लिए कि भारत में हिंदू मुस्लिम एकता की जड़ें कितनी गहरी हैl यह वह महान लोग थे जिन्होंने दुनिया को धर्म के चश्मे से नहीं देखा लेकिन एक व्यापक दिमाग और दृढ़ विश्वास उनका सिद्धांत था जिसके द्वारा लोग बिखरने के बजाय एकजुट हो सकते थेl पंडित मदन मोहन मालवीय ने कहा भारत केवल हिंदुओं का नहीं बल्कि मुसलमानों , सिखो , ईसाइयों , और पारसियों का भी देश है l यह देश तब तक ही शक्तिशाली हो सकता है और विकास कर सकता जब तक देश के सभी भाई लोग भाईचारा और प्रेम से रहेंगेl
सर सैयद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्नातक को के बारे में भी कहते थे कि इन लोगों को पूरे देश में खेलना चाहिए और नैतिकता शालीनता और एकता का संदेश फैलाना चाहिएl हालांकि सर सैयद और मालवीय के बीच कोई धार्मिक संबंध नहीं थे लेकिन बिना किसी संदेश के कहा जा सकता है कि उनके बीच एक अध्यात्मिक संबंध आवश्यक था l यह भी कहा जा सकता है कि इनकी आत्मा निश्चित रूप से एक दूसरे के बीच दोस्ती थीl
भारत में धार्मिक सद्भाव की न्यूज़ की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के बंटवारे के जख्म उसकी नींव को हिला नहीं पाए और आजादी के बाद अलग-अलग जगहों पर हुए सैकड़ों दंगों इस एकता को नुकसान नहीं पहुंचा है पाए l धार्मिक सद्भाव और पारसी एकता भारतीय जनता के खून में हैl इस एकता को बनाए रखने और बढ़ावा देने में राजनीतिक दलों और समाजसेवी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका हैl समय सभी संगठनों की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैl भारत भर में कई गैर सरकारी संगठन है जो मानवीय आधार पर लोगों की सेवा करने और प्रभावी तरीके से लोगों तक इस संदेश को पहुंचाने के लिए प्रतिबंध हैl इस श्रृंखला को विशेष रूप से संत निरंकारी मिशन और ऑल इंडिया में इंसानियत फोरम का नाम लिया जा सकता है जिनका मिशन मानवता और भाईचारे का संदेश फैलाना हैl संत निरंकारी मिशन मानव कल्याण के लिए समर्पित एक संगठन है जो ना केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में काम करता हैl इसकी शुरुआत 1929 में पेशावर में बाबा बोटा सिंह ने की थीl देश के विभाजन के बाद इसकी स्थापना 1948 मैं भारत में हुई थीl मिशन भारत सहित विभिन्न देशों में सक्रिय हैl
भारत में इसके 3000 के अंदर है वह लाखों लोग इस मिशन से जुड़े हुए हैंl ऑल इंडिया प्यामे इंसानियत फोरम की स्थापना 70 के दशक में प्रसिद्ध विद्वान मौलाना सैयद अब्दुल हसन अली नदवी ने बिना किसी भेदभाव के लोगों को तक सेवा और प्रेम के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से की थी । अब उसके कार्य का दायरा भी बढ़ गया हैl पहले इस संगठन के तहत जनसभाएं करके माननीय संदेश का प्रसार किया जाता था लेकिन अब यह संगठन विभिन्न संस्थाओं पर स्वभाव और सम्मेलनों के साथ-साथ अन्य माननीय सेवाएं भी दे रहा हैl उदाहरण के तौर पर आपदा की स्थिति में संगठन राहत की सामग्री प्रदान करता हैl बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संगठन के लोग बड़े पैमाने पर भोजन और अन्य सामान वितरित करते हैंl संगठन ने कोरोना वायरस भी लोगों की मदद की l
टीकाकरण शिविर लगाने में अहम भूमिका निभा रहा हैl दोनों संगठनों के नाम तो एक उदाहरण के तौर पर लिए गए हैं वरना देश में कई ऐसे संगठन है जिनका मिशन धार्मिक सद्भाव बनाए रखना और एकता का संदेश फैलाना हैl
कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान विभिन्न जगह पर उनके नमूने देखने को मिले ऐसे समय जब लोग खासकर जो लोग घर से दूर रहकर जीवन यापन कर रहे थे अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूख से परेशान थे l इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संभालना सरकारों के लिए एक चुनौती बन गया था ऐसे में समाजसेवी संस्थाओं और आम जनता ने ही स्थिति को संभाला और संकटग्रस्त लोगों कि इस तरह सेवा की जैसा कि पहले कभी नहीं देखा गया l ट्रेन वाहन और बसें बंद होने के कारण लोगों को साइकिल मोटरसाइकिल ट्रक और जिनके पास कोई सुविधा नहीं थी अपने गंतव्य तक पैदल जाना पड़ा लोगों की चप्पलें घीस गई ।वह भूखे ही अपनी मंजिल की ओर चल दिये ।
सबसे कठिन समय में पूरी दुनिया ने भारत निहित राष्ट्रीय एकता और धार्मिकता सद्भाव के सुखद उद्देश्यों को देखा l लोग हर राजमार्ग पर को भोजन फलों के पैकेट के साथ खड़े होते और आने वाले सभी लोगों को देते l जिन लोगों के पैरों में पदचाप प्रदान की गई l
हिंदू मुस्लिम एकता के सबसे प्रमुख पैरोकारों में से एक गांधीजी ने अपनी पुस्तक इंडिया ऑफ़ माय ड्रीम्स में लिखा है कि उनका सपना है एक ऐसा भारत बनाना था जहां गरीब से गरीब व्यक्ति भी यह सोचे कि देश उसका है और उसकी आवाज का सम्मान महत्व हैl एक ऐसा देश भारत का उच्च और निम्न वर्ग की कोई अवधारणा ना हो एक ऐसा देश जहां सभी धर्मों के लोग शांति और भाईचारे रह सकेl एक ऐसा भारत जहां छुआछूत का कोई स्थान ना रहे जहां नशे की कोई अवधारणा ना हो महिला को पुरुषों के समान अधिकार मिलेl हालांकि राष्ट्रीय एकता और धार्मिकता सद्भाव की मजबूत न्यू से बावजूद हमें गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए इस देश में और मेहनत करने और प्रयास करने की जरूरत हैl हम जहां भी हैं वहीं से इसकी शुरुआत करनी चाहिए……
– भंवर दिलीप सिंह चौहान ( स्वतंत्र पत्रकार )