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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in                                      जयपुर।  राजस्थान में लोकसभा आम चुनाव-2024 की मतगणना के महज तीन-चार दिन शेष हैं और इस बार सभी की निगाहे सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हैट्रिक पर लगी हुई हैं। राजस्थान में 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए मतदान गत 19 एवं 16 अप्रैल को दो चरणों में संपन्न हुए और अब इनकी मतगणना चार जून को होनी हैं। जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं और खासकर पिछले दो लोकसभा चुनावों में प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतने वाली भाजपा के इस बार हैट्रिक लगा पायेगी या नहीं, इस पर भी लोगों की नजरे टिकी हुई। हालांकि भाजपा और उसके नेताओं द्वारा मोदी की गारंटी के बल पर शुरु से ही इस बार भी प्रदेश में भाजपा के सभी सीटें जीतने का दावा किया जा रहा हैं।

 

 

 

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी सहित पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की पिछले दस साल की उपलब्धियों एवं मोदी की गारंटी के कारण पार्टी इस बार भी सभी पच्चीस सीटें जीतने में कामयाब रहेगी। उधर कांग्रेस एवं उसके नेता इस बार परिणाम चौंकाने वाले आने का दावा कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एवं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कई नेता इस बार मोदी लहर का असर नहीं होने का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा रही है और कांग्रेस आधे से भी ज्यादा सीटें जीतने जा रही है।

 

 


राजस्थान में हुए पिछले सत्रह लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक दस बार अधिक सीटें जीतकर कांग्रेस ने अपना राजनीतिक दबदबा रखा लेकिन जबसे प्रतिद्वंद्वी के रुप में उसके सामने आई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गत नौ लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक पांच बार ज्यादा सीटें जीतकर न केवल राजनीतिक दबदबा कायम किया बल्कि सोलहवीं और सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी पच्चीस सीटें जीतने के बाद वह इस बार हैट्रिक पर खड़ी है।

 

 


प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा के पहले चुनाव वर्ष 1952 से लेकर 1971 तक पांच चुनावों में लगातार ज्यादा सीटें जीत कर अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया लेकिन जून 1975 में देश में लगे आपातकाल के बाद हुए वर्ष 1977 की छठी लोकसभा के चुनाव में प्रदेश में जनता कांग्रेस को पसंद नहीं किया और उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और केवल नागौर से उसके वरिष्ठ नेता नाथूराम मिर्धा ही चुनाव जीत सके। इस चुनाव में जनता पार्टी को जबरदस्त लोगों का समर्थन मिला और उसने प्रदेश की 25 में से 24 सीटें जीतकर प्रदेश में अपना परचम पहराया।

 

 


पहले लोकसभा से पांचवें चुनाव तक कांग्रेस के सामने कोई राजनीतिक पार्टी नहीं टिक पाई लेकिन पहले चुनाव में छह निर्दलीयाें के साथ तीन आरआरपी एवं केएलपी के एक उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की। इसी तरह वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने आठ सीटें जीती जबकि जनसंघ ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया। इसी तरह वर्ष 1971 एवं 1980 में भी जनसंघ चार-चार सीटें जीती। कांग्रेस ने वर्ष 1977 के चुनाव में मात खाने के बाद वर्ष 1980 में हुए सातवें लोकसभा चुनाव में फिर वापसी करते हुए सर्वाधिक 18 सीटें जीतकर फिर अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया और इसके अगले ही वर्ष 1984 में आठवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जनता में उपजी सहानुभूति लहर का पूरा फायदा मिला और वह पहली बार प्रदेश की सभी सीटें जीतने में कामयाब रही। हालांकि वह इसके अगले ही चुनाव वर्ष 1989 में हुए नौवें लोकसभा चुनाव में भाजपा एवं जनता दल के गठबंधन के आगे बुरी तरह मात खाई और उसे सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसमें भाजपा ने 13 एवं जनता दल ने 11 सीटें जीती जबकि एक सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ने जीती।

 

 


इसके बाद वर्ष 1991 के दसवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 13 सीटें जीतकर कांग्रेस ने फिर अपनी साख कायम करने में सफल रही जबकि भाजपा ने 12 सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी बरकरार रखी। वर्ष 1996 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने 12-12 सीटें जीतकर बराबर पर रही जबकि एक सीट एआईआईसी (टी) ने जीती। इसके बाद वर्ष 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने फिर दम दिखाते हुए 18 सीटें जीती जबकि भाजपा को केवल पांच सीटें जीतकर ही संतोष करना पड़ा। वर्ष 1999 में हुए 13वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक 16 सीटें जीती जबकि कांग्रेस ने नौ सीटें जीती। इसके बाद वर्ष 2004 के 14वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने फिर बाजी मारते हुए 21 सीटें जीती जबकि कांग्रेस को केवल चार सीटों पर संतोष करना पड़ा।

 

 


वर्ष 2009 में कांग्रेस ने 20 सीटें जीतकर फिर अपना दबदबा कायम किया जबकि भाजपा ने चार एवं एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 2014 एवं 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार दो बार सभी सीटें जीतकर अपना जोरदार राजनीतिक दबदबा कायम किया और इस बार वह हैट्रिक पर हैं।

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