हैलो बीकानेर। राजस्थान से बाहर निकला जा सकता है लेकिन दिल के अंदर राजस्थानी को बाहर निकालना संभव नहीं। ये कहना है तारक मेहता फेम कवि और अभिनेता शैलेश लोढ़ा का। एलआईसी की ओर से हीरक जयंती कार्यक्रम में शिरकत करने बीकानेर आए लोढ़ा रविंद्र रंगमंच में पत्रकारों से मुलाकात में उसी ऊर्जा और ताजगी के साथ राजस्थानी माटी के जन्मे जाये शैलेश ने कविता, अभिनय, राजनीति और अपणायत से जुड़ी कई बातें साझा की। वो बोले यहां जैसा अपनापन कहीं नहीं लगता।
शैलेश ने कहा कि अब छोटा परदा बड़े परदे से इतना बड़ा हो गया है कि बड़े परदे वालों को भी इसकी शरण लेनी पड़ती है। ऐसे में अब मेरा कोई मोह नहीं रहा है बड़े परदे को लेकर। वे कहते हैं सहजता और सादगी की उम्र बनावटी ग्लैमर से कहीं अधिक होती है। दुनिया के किसी कोने में चले जाओ, हास्य की छत्रछाया में रहना ही ठीक रहता है। ह ंसना, हंसाना मुझे अच्छा लगता है। लोढ़ा ने कहा कि कविता का कोई विकल्प नहीं हो सकता। कविता हर युग, मौसम में उतनी ही ताजी रहती है साथ ही साथ आसपास में जो माहौल होता है उससे ही कविता उपजती है।
इसलिए राजनीतिक और समाज का अक्स उसमें आना लाजिमी है। एक प्रश्न के उत्तर में वे बोले कि अभिनय और कविता उनकी आत्मा है। अभिनय में कविता सहायता कर देती है और कविता के समय अभिनय काम आ जाता है। राजस्थानी भाषा के लिए संजीदगी रखने वाले शैलेश कहते हैं-संवैधानिक मान्यता अपनी जगह है। राजस्थान और देश-दुनिया में बसे राजस्थानियों को सबसे पहले इसे अपने घर में मान्यता देनी होगी। उन्होनें कहा कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा को लोगों का अपार स्नेह मिला जिसके दम पर एपिसोड ने 2400 कडिय़ां पूरी कर ली है।
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण रहे तारक मेहता के साथ फोटो खीचवाने के लिए लोग काफी बेताब दिखे। खासकर बच्चों में ज्यादा उत्साह दिख रहा था। कार्यक्रम समाप्ति के बाद शैलेश के मंच से उतरते ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। काफी संख्या में महिलाएं, बच्चे व युवा मंच की ओर दौड़ पड़े। कई लोगों ने अपने चहेते टीवी कलाकार तारक संग फोटो ङ्क्षखचवाई। लोग उनकी तस्वीरों को अपने-अपने मोबाइल में कैद करने को लालायित थे। कार्यक्रम के दौरान भी लोगों के मोबाइल का फ्लैश चमक रहा था।