जालंधर। भारतीय सेना के सूबेदार परमजीत सिंह को शहीद हुए पांच महीने गुजर गए हैं लेकिन उनकी बेटी आज भी यही पूछती है कि पापा का सिर कब आएगा। सेना की 22वीं सिख बटालियन में सूबेदार परमजीत सिंह जम्मू-कश्मीर के राजौरी में एक मई 2017 को पाकिस्तान के बैट की ओर से की गई गोलीबारी में शहीद हुए थे। आतंकवादी सेना के सूबेदार परमजीत सिंह और सीमा सुरक्षा बल के जवान प्रेम सागर का सिर कलम कर अपने साथ ले गए थे। शहीद परमजीत सिंह का सिर विहीन शव उनके पैतृक गांव पंजाब के तरनतारन कस्बे में पहुंचने पर सभी स्तब्ध थे लेकिन उनकी छोटी बेटी खुशदीप कौर (14) बार-बार यही पूछती रही की पापा का सिर कब आएगा। आज भी अपने पापा को याद कर खुशदीप कौर भारत सरकार से यही सवाल कर रही है कि उसके पापा के सिर को वापिस क्यों नहीं लाया जा रहा।
परमजीत सिंह के भाई रणजीत सिंह ने आज यूनीवार्ता से कहा कि सिर विहीन शव देखकर परमजीत सिंह का परिवार आज भी सदमे में है। उन्होंने बताया कि उन्हें अफसोस इस बात का है कि परमजीत सिंह के शहीद होने पर केन्द्र सरकार की ओर से आज तक शहीद परिवार से किसी प्रकार का कोई सम्पर्क नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तान की यात्रा पर जा सकते हैं तो फिर मानवता के नाते वह पाकिस्तान से शहीदों के सिरों की मांग क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि यह सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह पाकिस्तान की सरकार से बात कर शहीदों के सिरों को वापिस लाने का प्रबंध करें।
रणजीत सिंह ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने परमजीत सिंह के परिवार से सांत्वना व्यक्त करते समय उनकी बड़ी बेटी सिमरदीप कौर को नायब तहसीलदार तथा बेटे सहलदीप सिंह (14) को थानेदार की नौकरी देने का आश्वासन दिया है। दोनों बच्चे जब नौकरी पाने के हकदार हो जाएंगे तो उन्हें उक्त पदों पर नियुक्ति दे दी जाएगी। इसके अतिरिक्त आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान एवं सांसद भगवंत मान ने भी परमजीत सिंह की याद में गांव में एक पुस्तकालय बनाने के लिए दस लाख रुपये की सहायता दी थी। पुस्तकालय बनाने का कार्य जारी है।
फिल्म निर्माता जसबीर सिंह ने शहीद परमजीत सिंह पर एक शार्ट फिल्म ‘शहीद’ बनाई है जिसमें शहीद के परिवार की सहमति से उनके असली नामों का प्रयोग किया गया है। जसबीर सिंह ने आज इस फिल्म को यूट्यूब पर जारी करते हुए बताया कि जब परमजीत सिंह शहीद हुए थे तो यूट्यूब पर इससे संबंधित समाचार देख कर वह भावुक हो गए थे तथा उन्हें इस पर एक फिल्म बनाने का विचार आया।
फिल्म का निर्देशन सतबीर सिंह ने किया है तथा राज धालीवाल, जसविंदर छिंछा, अमृता, सतविंदर दीवान, हरिंदर सिंह, पवनदीप सिंह उपरा तथा चाईल्ड आर्टिस्ट दमनजोत सिंह ने किरदार निभाए हैं।