राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार व यूआईटी को नोटिस जारी किए
बीकानेर/जोधपुर। बीकानेर शहर के व्यवस्थित विकास के लिए अनुमोदित सार्दुलगंज योजना के सुविधा क्षेत्रों में अतिक्रमण नहीं हटाने को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान हाई
कोर्ट ने मंगलवार को नगरीय विकास विभाग, बीकानेर जिला कलक्टर तथा नगर विकास न्यास नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग तथा न्यायाधीश आरएस झाला की खंडपीठ ने बीकानेर निवासी नरेश शर्मा की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद मंगलवार को ये आदेश दिए। याचिकाकत्र्ता के अधिकवक्ता संजीत पुरोहित ने कोर्ट को बताया कि नगर विकास न्यास ने 1970 के दौरान बीकानेर के सुव्यवस्थित विकास के लिए सार्दुलगंज नामक योजना प्रस्तावित की थी। राजस्थान नगर सुधार न्यास अधिनियम की धारा 29 के तहत इस योजना को राज्य सरकार ने अनुमोदित कर दिया, जिसमें एक मार्केटिंग सेंटर भी प्रस्तावित था। पुरोहित ने बताया कि इस योजना की चारों तरफ सात खुले क्षेत्र सहित स्कूल के लिए भी जमीन आरक्षित की गई थी। उन्होंने बताया कि मार्केटिंग सेंटर के लिए आरक्षित स्थान, जो वर्तमान में पंतशती सर्किल के नाम से जाना जाता है, वहां मूल योजना में 80 फीट चौड़ी सडक़ दर्शायी गई है। इस सडक़ के दोनों ओर 28 फीट के फुटपाथों का भी प्रावधान है, लेकिन नगर विकास न्यास के अधिकारियों की उदासीनता के चलते प्रस्तावित सुविधा क्षेत्रों पर अतिक्रमण हो गए हैं। लोगों ने यहां अवैध रूप से कब्जे कर लिए हैं, जिन्हें हटाने का प्रस्ताव न्यास कई बार ले चुका है, लेकिन एक बार भी अतिक्रमण व अवैध कब्जे नहीं हटाए गए। पुरोहित ने बताया कि वर्ष 2008 की न्यास बैठक में भी अधिकारियों ने माना था कि सार्दुलगंज स्कीम में 25 व्यक्तियों द्वारा किए गए कब्जे व अतिक्रमण नियमन योग्य नहीं है। सार्दुलगंज तथा पंतशती सर्किल पर इन अतिक्रमणों को हटाकर सौंदर्यीकरण किए जाने का निर्णय भी आज तक अमली जामा नहीं पहन पाया है। बीकानेर शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए अनुमोदित योजना को धरातल पर लागू नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि यह गुलाब कोठारी केस में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन है।