जयपुर। राजस्थान में कोटा की अदालत ने बूंदी जिले के केशवरायपाटन विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक चंद्रकांता मेघवाल की दर्ज मामले में गिरफ्तारी पर रोक सोलह जून तक वह बढ़ा दी है।
इससे पहले महावीर नगर थाने में दर्ज तीन मामलों में गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर मेघवाल ने अपने वकील के जरिये नौ जून को कोटा में अनुसूचित जाति-जनजाति न्यायालय में अपनी अग्रिम जमानत के आवेदन पेश किया था जिस पर न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर 13 जून तक के लिए रोक लगाई थी। अग्रिम जमानत की अवधि समाप्त होने से पहले ही वह रविवार को महावीर नगर थाने में पुलिस के समक्ष प्रस्तुत हुई और वहां थाना प्रभारी को अपना बयान दर्ज कराया। पुलिस ने उनसे कल करीब दो घंटे तक सवाल-जवाब किये।
पुलिस ने बताया कि उनसे पूछताछ अभी बाकी है इसलिए उन्हें फिर तलब किया जा सकता है। फिलहाल वह 16 जून तक अग्रिम जमानत पर हैं। भाजपा के एक अन्य कार्यकर्ता ने भी इस मामले में अपनी अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन पेश किया है जिस पर भी 16 जून को सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि करीब पांच साल पहले वर्ष 2017 में 20 फ़रवरी में महावीर नगर थाने के बाहर दुपहिया वाहन सवार लोगों के चालान बनाने के मामले को लेकर मेघवाल भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ विरोध दर्ज कराने थाने पहुंची थी और पुलिस की कथित मनमानी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था। इसी दौरान गर्मा-गर्मी होने के बाद मामला मारपीट एवं पुलिस के बल प्रयोग में बदल गया।
इस मामले में पुलिस ने चंद्रकांता और उनके पति नरेन्द्रपाल सहित भाजपा के कार्यकर्ताओं के खिलाफ तीन मामले दर्ज कराए थे, जबकि चंद्रकांता की ओर से तत्कालीन थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ मारपीट, दुर्व्यवहार करने जैसे दो मामले दर्ज कराये थे। इन सभी मामलों की सीआईडी (सीबी) ने जांच की थी जिनमें से चंद्रकांता मेघवाल की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमों में तो सीआईडी (सीबी) ने अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा कर पुलिस को तो क्लीनचिट दे दी जबकि पुलिस की ओर से मेघवाल व उनके पति तथा अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले को प्रमाणित मानते हुए अपनी जांच रिपोर्ट महावीर नगर थाने में सौंप दी थी।
इसी रिपोर्ट के आधार पर पिछले सप्ताह महावीर नगर थाना पुलिस ने मात्र तीन दिन की अल्पावधि में चंद्रकांता को थाने में तलब किया था जबकि वे उस समय राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव के कारण जयपुर में भाजपा की ओर से आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए गई हुई थी और वह इस वजह से पुलिस के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाई थी। उनकी मांग है कि मासले की सीबीआई या न्यायिक जांच कराई जाये।