हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in, बीकानेर। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के अन्तर्गत बेसिक पी.जी. महाविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित अन्तर महाविद्यालय शतरंज (पुरुष एवं महिला) प्रतियोगिता का आयोजन महाविद्यालय परिसर में रखा गया। इस प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय आचार्य मनोज जी दीक्षित, विशिष्ट अतिथि बीकानेर पश्चिम के विधायक माननीय जेठानन्द जी व्यास, महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीमान् रामजी व्यास एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित उपस्थित रहे।
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना उपरान्त शतरंज की चाल चलते हुए अतिथियों द्वारा इस भव्य कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि कुलपति माननीय आचार्य मनोज जी दीक्षित, विशिष्ट अतिथि विधायक माननीय जेठानन्दजी व्यास, महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास एवं प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा सभी खिलाड़ियों से परिचय भी प्राप्त किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कुलपति आचार्य मनोज जी दीक्षित ने खिलाड़ियों को बताया कि खेल और अनुशासन का गहरा रिश्ता है, अनुशासित बच्चे ही आगे अच्छे खिलाड़ी बनते हैं। खेल में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करने का उत्साह जागृत होता है। उन्हांेने बताया कि खेल ही है जो हमें बताता है कि जीवन एक प्रतियोगिता है और खेल मनुष्य को जीवन का पाठ पढ़ाने का कार्य भी करते हैं। शतरंज एक माइंड गेम है और इस प्रतियोगिता से विद्यार्थियों का दिमाग भी विकसित होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से खिलड़ियों को उनकी प्रतिभा को निखारने का अच्छा मौका मिलता है जो आगे चलकर एक महान के खिलाड़ी बनते हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि विधायक माननीय श्री जेठानन्द जी व्यास ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस खेल में जिस प्रकार से खिलाड़ी हर चाल को सोच-समझकर चलते हैं, उसी प्रकार हमें जीवन में भी हर निर्णय को ध्यानपूर्वक लेने की आवश्यकता होती है। शतरंज यह सिखाता है कि कभी-कभी विजय के लिए केवल बुद्धिमत्ता ही नहीं, बल्कि धैर्य, संयम, और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता भी जरूरी होती है। यह खेल हमें यह भी सिखाता है कि असफलता के बाद भी, हमें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर आगे बढ़ते रहना चाहिए। आने वाला समय मशीन का है लेकिन मानव द्वारा तैयार किया हुआ मशीन का मेमोरी पावर कई गुणा ज्यादा होता है, इसलिए वह जल्दी चाल चल पाता है। शतरंज के जाने-माने खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने कई बार मशीन को शतरंज में हरा दिया है। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा इस खेल के माध्यम से अपने दिमाग को ज्यादा से ज्यादा विकसित करना चाहिए ताकि आने वाले समय में इस क्षेत्र और देश का नाम इस खेल में रोशन हो सके।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास ने बताया कि जिन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं जबकि खेल में भाग लेने से सबसे पहले हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है। व्यास ने बताया कि स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास की सहानुभूतियों को बढ़ा सकते हैं। खेलों में खेल भावना का होना भी जरूरी है। खेलों में हार-जीत से कटुता या अहंकार का भाव उत्पन्न नहीं होना चाहिए और खेलों में जीत के लिए नियमों का उल्लंघन करना भी अनुचित है। स्वस्थ प्रतियोगिता से ही खेलों में खेल भावना को बढ़ाया जा सकता है। खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि शारीरिक विकास के लिए एवं लक्ष्य के प्रति निष्ठावान होने के लिए खेलों में रुचि होना जरूरी है। खेलों के अधिकाधिक आयोजन से खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्द्धा का विकास होता है जो कि भविष्य के लिए उन्हें मानसिक मजबूती प्रदान करता है।
कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास एवं प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा अतिथियों को साफा, उपरना एवं प्रतीक चिह्न भेंट करते हुए आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा, डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा, वासुदेव पंवार, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, माधुरी पुरोहित, प्रभा बिस्सा, प्रेमलता व्यास, शालिनी आचार्य, प्रीति पुरोहित, खुशबू शर्मा, समीक्षा हर्ष, जाह्नवी पारीक, सीमा शर्मा, संध्या बिस्सा, सीताराम प्रजापत, हितेश पुरोहित, मनमथ केवलिया, पंकज पाण्डे, कृष्णा व्यास, शिवशंकर उपाध्याय आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।