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बीकानेर (हैलो बीकानेर न्यूज़)। जहां एक और राज्य सरकार लाखों रूपए की मदद देकर मजदूर, श्रमिक के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है वहीं, इन योजनाओं के क्रियान्वयन स्तर पर अफसरों की घोर लापरवाही देख कर खुद जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम भौंचक्के रह गए। शुक्रवार सुबह श्रम विभाग के जिला कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे, जिला कलक्टर को उस समय बड़ी हैरानी हुई जब ऑफिस में एक भी सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं था। जानकारी लेने पर पता चला कि सभी अधिकारी बिना किसी पूर्व अनुमति के ही अवकाश चल रहे हैं।
जिला कलक्टर की हैरानी उस वक्त और बढ़ गई जब उन्हें पता चला कि मजदूर की बेटी की शादी, बच्चों की पढ़ाई और बीमारी के इलाज के लिए राज्य सरकार के नियमानुसार मिलने वाली आर्थिक मदद के करीब 20 हजार से ज्यादा आवेदन विभाग की फाइलों में दबे पड़े हैं। कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते हैरान परेशान मजदूरों की नींदे भले उड़ गई हो, लेकिन इन अधिकारियों की नींद नहीं खुली।
जिला कलक्टर सुबह 10.15 बजे जब कार्यालय पहुंचे और उपस्थित कर्मचारियों से पूछा कि संयुक्त श्रम आयुक्त कहां है तो कुछ देर तो कोई कर्मचारी जवाब देने की स्थिति में नहीं था। काफी जोर देने पर बताया गया कि संयुक्त श्रम आयुक्त ओ पी सहारण अवकाश पर है और उन्होंने अपना अवकाश जयपुर भेज दिया है। श्रम कल्याण अधिकारी अब्दुल सलाम के बारे में पूछने पर बताया गया कि वे अब तक आए नहीं है। ऑफिस से कई बार फोन करने और फिर खुद जिला कलक्टर द्वारा पांच बार फोन करने के बावजूद श्रम कल्याण अधिकारी ने फोन उठाकर कोई जवाब नहीं दिया। श्रम निरीक्षक गोपालकृष्ण पालीवाल का भी यहीं हाल था। ऑफिस न पहुंचने की कोई सूचना नहीं थी और मोबाइल उठा नहीं रहे थे। जिला कलक्टर ने कहा कि मकान कहां है, बुलाकर लाओ तो कुछ देर तो कर्मचारी उनके घर का एड्रेस की जानकारी न होना बताते रहे और ज्यादा पूछने पर बताया कि पालीवाल भाप गांव के रहने वाले हैं और डेली अपडाउन करते हैं। दस बार फोन करने के बाद श्रम कल्याण अधिकारी ने जवाब दिया कि उसका स्वास्थ्य खराब है। खांसी के कारण रात भर वे सो नहीं सके। इस पर जिला कलक्टर ने कहा कि बीस हजार लोगों को तो आपकी कार्यशैली के कारण वर्षों से नींद नहीं आ रही  है। इनके बारे में भी सोचा करो कभी, कि गरीब श्रमिकों के आवेदन निस्तारित कर राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत उन तक पहुंचाई जा सके।
जिला कलक्टर ने जब निरीक्षक पालीवाल को कई बार फोन किया तो उसने उठाकर कहा कि उसका स्वास्थ्य बीती रात खराब हो गया था इसलिए वह भाप गांव में अपना परीक्षण करवाने चला गया। वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में उपस्थित नहीं होने का यह सिलसिला चलता रहा। संयुक्त श्रम आयुक्त के निजी सहायक धनेश मार्कर भी स्वास्थ्य खराब होने के कारण अवकाश पर थे। जिला कलक्टर ने अधिकारियों के इस लापररवाह रवैए पर खिलाफ नाराजगी जताते हुए चारों अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर ने उठाया लैंड लाइन फोन
कार्यालय के निरीक्षण के दौरान ऑफिस के हॉल में रखे फोन की घंटी बजी, तो गौतम ने फोन उठाकर कहा, मैं जिला कलक्टर बोल रहा हूं। सामने से राकेश गोयल बोल रहे थे जो कि अपनी छात्रवृति स्वीकृत होने की जानकारी लेना चाह रहे थे। गोयल ने बताया कि अप्रैल 2018 में उसने आवेदन किया था। मगर अब तक उसे छात्रवृति नहीं मिली है। गौतम ने सम्पूर्ण जानकारी लिखी और उपस्थित सूचना सहायक से इस प्रकरण को आज ही निस्तारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि छात्रवृति का भुगतान आवश्यक रूप से हो जाना चाहिए और किस स्तर पर पेडेन्सी रही है, इसके बारे में उन्हें जानकारी दें, जिससे सम्बंधित के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जा सके।
आवेदनों की स्थिति जानने के लिए पहुंची महिला श्रमिक
जिला कलक्टर कार्यालय के प्रथम तल का निरीक्षण कर जब भूतल पर लगे कार्यालय की व्यवस्था देख रहे थे तो वहां आई महिला श्रमिकों ने अपने आवेदनों का निस्तारण काफी समय से लम्बित होने की शिकायत की। जिला कलक्टर ने कहा कि सभी श्रमिकों के आवेदनों की जानकारी लें तथा इनके आवेदनों के निस्तारण प्राथमिकता से करें। भूतल कार्यालय में ऑफिस उपयोग का सामान कूलर, पेयजल साफ करने की मशीन आदि खोले भी नहीं गए थे। इस पर गौतम ने कहा कि जब इतना सामान खरीद लिया गया है तो यहां आने वाले श्रमिकों को पीने का साफ पानी तो उपलब्ध करवा दो। जिला कलक्टर जब कार्यालय से बाहर निकले तो स्थानीय नागरिकों ने सड़क व नालियां दुरूस्त कराने की मांग की।

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