बीकानेर होली विशेष। बीकानेर की हवा में हल्की गुलाबी ठंडक, गुलाब की महक के साथ उड़ रही गुलाल, मां को धोक लगाते लोग। हर्षित होकर एक-दूसरे के माथे पर गुलाल का तिलक लगाते महिला ओर पुरुष। यह दृश्य आज दिखाई दिया नागणेचीजी मंदिर में खेलनी सप्तमी उत्सव पर।
बीकानेर के ऐतिहासिक नागणेचीजी माता के मंदिर की छटा ही अनुपम रही। लोकगीतों के लयबद्ध उच्च स्वर के बीच उड़ती सुगंधित गुलाल ने मानो यहां संगीत और सुगंध का अनुपम दृश्य रच दिया, जिसे सिर्फ अनुभूत किया जा सकता था। जैसे ही मां भगवती को गुलाल चढ़ाई मंदिर परिसर में फागोत्सव परवान चढ़ गया। इस दौरान मंदिर में पैर रखने की जगह नहीं थी।
मंदिर में ही नगाड़े से एक दो ढाई और एक दो साढ़े तीन ताल के साथ ही चलत, चिलावड़ा और ढोर लय की उल्लास भर देने वाली धमक के साथ पारंपरिक पोशाक और पचरंगी पाग पहने पुरुषों की बुलंद पर सधे सुरों के साथ हंस चढ़ी मां आय भवानी…भजन की तान के साथ-साथ मेंहदी, पन्नों, रंग मोंडलो, मुजमोनी के साथ ही रम्मतों में गाए जाने वाले फाग गीतों की लगातार चल रही प्रस्तुतियां और परंपरागत शैली में गाए जाने वाले इन फाग गीतों के गाए जाने के अनूठे अंदाज को सुनते समझते और गीतों की स्वरलहरियों में खुद को एकमेक करते लोगों और युवाओं का हुजूम। ये नजारा सोमवार को नागणेचीजी मंदिर में सायं 7 बजे से नजर आया।