प्रख्यात लेखिका प्रितपाल कौर का सम्मान और संवाद
हैलो बीकानेर न्यूज़। जब तक साहित्य में आज की बात नहीं होगी, साहित्य के सरोकार पूरे नहीं होंगे। यही बात महिला लेखन के लिए भी ऐसे ही लागू होती है। जब तक महिलाएं संकोच को त्यागकर परिवेश और परिवर्तन को स्वर नहीं देगी, समकालीन साहित्य नहीं रच पाएगी। महिला लेखन में अभी बहुत सारे गतिरोध हैं, जिन्हें महिलाओं को तोडऩा होगा। प्रख्यात लेखिका प्रितपाल कौर ने शनिवार को जिला उद्याग संघ सभागार में यह उद्गार व्यक्त किए।
बीकानेर की महिला रचनाकारों द्वारा प्रितपाल के सम्मान में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लेखन के क्षेत्र में कोई गॉड-फादर नहीं होता है, यह बात महिलाओं को समझनी होगी और यह यह प्रयास करना होगा कि वह अपने लेखन की वजह से पहचानी जाए। उन्होंने समकालीन संदर्भों पर बात करते हुए कहा कि संवेदना के स्तर पर पुरुषों से कई गुना अधिक होने पर भी अभिव्यक्ति के स्तर पर कमजोर माना जाना लेखिकाओं की सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए महिलाओं को सबसे पहले पढऩे की आदत डालनी होगी और पढऩे का दायरा बढ़ाना होगा।
प्रितपाल कौर ने इस मौके पर कई उदाहरण देते हुए कहा कि परिवर्तन बहुत तेजी से हुए हैं और जिन महिलाओं ने इसे समझते हुए खुद को ढाला है, उन्होने तरक्की भी की है। यह समय अपनी शक्ति को पहचानने का है। महिलाओं को चाहिए कि वे अपना कद ही इतना ऊंचा कर दे कि कोई सवाल ही नहीं खड़े कर सके।
इस मौके पर आयोजिन संवाद में भागीदारी करते हुए वरिष्ठ कवयित्री उषाकिरण सोनी ने कहा कि महिला लेखन की अपनी समस्याएं हैं, लेकिन उनका निराकरण भी महिलाओं के पास ही हैं। वत्सला पांडे ने कहा कि महिलाओं को भ्रम से निकलने और सबसे पहले खुद को समझने की स्थिति में आना जरूरी है। मोनिका गौड़ ने कहा कि महिला लेखन कमतर नहीं है, लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिल रही है। डॉ.मेघना शर्मा ने इस मौके पर कहा कि वैश्विक बदलावों के दौर में महिलाओं को कुछ भी रचने से पहले यह सोचना जरूरी है कि यह विश्व के किसी भी कोने में पढ़ा जा सकता है। मंजू रांकावत ने रंगकर्म के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर बात की। सीमा भाटी ने कहा कि लेखन शौक नहीं हो सकता, क्योंकि यह पीड़ा से उपजता है। डॉ.प्रकाश अमरावत ने इस मौके पर अनुभूतियों की सघनता को लेखन का आधार बताते हुए कहा कि अनुभव का दायरा जितना बढ़ेगा लेखन परिपक्व होगा। डॉ.संजू श्रीमाली ने कहा कि जिस तरह के समाज में हम रहते हैं, वहां कई बार लेखन भी सवाल का आधार बन जाता है। कृष्णा आचार्य ने इस तरह के आयोजनों की प्रासंगिकता जताते हुए कहा कि यह समय महिलाओं को आपस में बैठकर अपने लिखे हुए पर बात करने का है। प्रिया पुरोहित, विभा पारीक, शोभा पारीक, रुचि गोस्वामी, चित्रा जैन, अमिता सेठिया, विनीता शर्मा आदि ने भी संवाद में अपने विचार रखे।
इस अवसर पर प्रितपाल कौर का स्वागत महिला रचनाकारों द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ऋतु शर्मा ने कहा कि इस तहर के कार्यक्रमों की नियमितता रही तो निश्चय ही बीकानेर महिला लेखन के क्षेत्र में भी अग्रणी रहेगा।
तीन कृतियों का लोकार्पण कल
हैलो बीकानेर न्यूज़ । रविवार, 12 अगस्त को सुबह 9.15 पर तीन कृतियों का लोकार्पण धरणीधर रंगमंच पर होगा। गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मधु आचार्य आशावादी की कृति ‘साहित्य की सीआरपीसीÓ, प्रितपाल कौर के कहानी संकलन ‘परिवेश के स्वरÓ और डॉ.ब्रजरतन जोशी के कहानी संकलन ‘हिंदी कहानी : नया स्वरÓ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता समाजसेवी रामकिसन आचार्य करेंगे।