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आज़ादी के बाद बीकानेर में किसी नए शाइर का पहला दीवान

 

बीकानेर hellobikaner.in ‘ मुझे दौलत शोहरत कुछ नहीं चाहिए, बस परवरदिगार मुझसे अदब की दौलत से नवाजता रहे’ ये बात रविवार की शाम को बीकानेर के जाने- माने शाइर इरशाद अज़ीज़ ने धरणीधर रंगमंच पर अपने दीवान ‘आहट’ के लोकार्पण के मौके पर कही।

 

भारत की आज़ादी के बाद बीकानेर में पहला नया दीवान लिखने वाले इरशाद अज़ीज़ ने अपने पिता और मशहूर शाइर अज़ीज़ आज़ाद को याद करते हुए जब अपना दीवान अपनी माताजी के क़दमों में रखा तो धरणीधर सभागार में उपस्थित एक- एक व्यक्ति भावुक हो गया। इस मौके पर इरशाद ने दीवान ‘आहट’ से चुनिन्दा ग़ज़लें सुनाई और अपनी सृजन यात्रा के अनुभव साझा किए।

कार्यक्रम के आरम्भ में कवि, नाटककार और पत्रकार हरीश बी. शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि आज इरशाद अज़ीज़ ने अदब में ये ऐतिहासिक काम करके बीकानेर को बहुत बड़ा सम्मान दिलाया है। उन्होने कहा कि इरशाद एक बेहतरीन रचनाकार है। उनके दीवान का दिल खोलकर स्वागत भी किया जाएगा तो कई तरह के सवाल भी उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि इरशाद अपने कर्म के प्रति पूर्ण समर्पित सृजनधर्मी हैं इसलिए उनका काम ही हर सवाल का जवाब देता है।

प्रोग्राम के मुख्य अतिथि, हिंदुस्तान के जाने माने शाइर मलिक ज़ादा जवेद ने कहा कि दीवान उर्दू अदब का सबसे मुश्किल काम है, इरशाद अज़ीज़ ने इस मुश्किल काम को बहुत तबीयत के साथ अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि इरशाद के क़लम में ज़िन्दगी की धड़कन को सुना जा सकता है। प्रोग्राम के विशिष्ट अतिथि बीकानेर के पूर्व महापौर हाज़ी मक़सूद अहमद ने कहा कि इरशाद अज़ीज़ का दीवान शाया होना पूरे बीकानेर के लिए फ़क्र की बात है। उन्होंने कहा कि इरशाद अदब के ज़रिये इंसान को इंसान से जोड़ने का काम करते हैं।

प्रोग्राम की अध्यक्षता कर रहे जाने माने तनकीद निग़ार और शाइर डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि इरशाद ने दीवान ‘आहट’ के रूप एक ईमानदार अदबी कोशिश की। उनका दीवान, दीवान की कसौटियों पर खरा उतरता है।उन्होंने कहा कि इरशाद अदब को जीने वाले इंसान हैं। डॉ. ज़ियाउल हसन क़ादरी और डॉ. शकीला बानों ने दीवान आहट पर पत्रवाचन किया। कवि- समालोचक संजय आचार्य वरुण ने इरशाद अज़ीज़ का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि जो इंसान आंख में पानी भरकर अल्लाह पाक़ से ये दुआ मांगता है कि वे उसे हमेशा बेहतरीन क़लाम से नवाज़ते रहें, वह कैसा शाइर होगा, ये अलग से बयान करने की बात नहीं है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. नासिर ज़ैदी ने किया। मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी ने मेहमानों का शुक्रिया किया। इस मौके पर राव बीकजी संस्थान, अरुण प्रकाशन, अभिनव टाइम्स, पर्यटन लेखक संघ, उत्कर्ष संस्थान, शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान द्वारा इरशाद अज़ीज़ का सम्मान किया गया।

कार्यक्रम में विद्यासागर आचार्य, अनवर उस्ता, दीपचंद सांखला, डॉ. नीरज दैया, बुलाकी शर्मा, अनिरुद्ध उमट, मधु आचार्य ‘आशावादी’,विशन मतवाला, नदीम अहमद नदीम, सुनील गज्जाणी, गिरीराज खैरीवाल, गिरीश पुरोहित, पेंटर धर्मा, सीमा भाटी, मयंक सोनी, अमित गोस्वामी, अशफाक क़ादरी, विपिन पुरोहित, अभिषेक आचार्य, सुकान्त किराडू, अजीत राज, डॉ. अजय जोशी, जाकिर आज़ाद, डॉ. कृष्णा आचार्य, मोनिका गौड़, डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’, शिवशंकर व्यास, राजाराम स्वर्णकार, जुगल किशोर पुरोहित, बाबूलाल छंगाणी, असद अली असद, ऋतु शर्मा, अमिता सेठिया, रंगकर्मी उदय व्यास, जाकिर अदीब, संजय जनागल, डॉ. अभयसिंह टाक एवं पत्रकार राजेश ओझा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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