युवापीढ़ी को साहित्य से जोड़ने की जरूरत
वरिष्ठरंगकर्मी, साहित्यकार, पत्रकार मधुआचार्य “आशावादी“ पर केन्द्रित“ लेखक से मिलिए“कार्यक्रम
हैलो बीकानेर न्यूज़ । ‘‘संवेदना के बगैर साहित्य सृजन संभवन हीं है। हर लेखक अपने समय को समझते हुए जो रचता है वही साहित्य होता है। साहित्य में समाज को सही दिशा देने की ताकत होती है।’’ बाफना स्कूल में मुक्ति संस्थान की ओर से मधुआचार्य ‘आशावादी’ पर केन्द्रित कार्यक्रम “लेखक से मिलिए” में एमजीएसयू के कुलपति डॉ. भागीरथ बिजारनिया गुरूवार को यह उद्गार व्यक्त किए।
कुलपति ने कहा कि आज के शैक्षिक ढांचे में सुधार के लिए समकालीन साहित्य से युवापीढी को जोडने की जरूरत है। ऐसा होने पर शैक्षिक वातावरण में रचनात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे । उन्होंने कहा कि मधुआचार्य आशावादी ने अपने सृजनात्मक ऊर्जा से शहर का सांस्कृतिक उन्नयन करने का कार्य किया। इस तरह के लोग ही इतिहास रचते हैं।
इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय शीघ्र ही नए लेखकों के लिए कार्यशाला और साहित्य सम्मेलन आयोजित करेगा । उन्होंने कहा कि अच्छे पाठकों के साथ-साथ अच्छा लेखन भी समय और समाज की जरूरत है।
अपने संवाद में वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार साहित्यकार मधुआचार्य ने कहा कि बगैर विचार सृजन संभव नहीं है। विचार के बगैर शब्द न तो लिख जा सकता है ना बोला जा सकता है। एक रचनाकार के रूप में हमारा यह भी दायित्व होता हैकि न सिर्फ सम्प्रेषणीय लिखे बल्कि पाठकों को भी नया और बेहतर दे। आचार्य ने कहा कि लिखने की आदत सभी में होती है लेकिन परिवेश, संगत और विचार से सृजन को राह मिलती है। कोई भी साहित्यकार न तो परिस्थितियों से समझौता करता है और न संवेदना को खत्म होने देता है।
एक साहित्यकार जोडने की कला में पारंगत होता है सवालों का जवाब देते हुए आचार्य ने कहा कि सबसे पहले एक रचनाकार क्यों के सवाल से मुठभेड़ करता है। जो स्वयं से क्यों लिख रहा हंूू का सवाल करता है वही सार्थक सृजन कर सकता है। उन्होंने कहा कि हर अच्छा लेखक प्रगतिशील होता है। परंपरा का अर्थ रूढ़ि नहीं होता है।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महिलाओं को सृजन के क्षेत्र में बगैर गॉड-फादर की अपेक्षा के साथ सक्रिय होना चाहिए, क्योंकि एक स्त्री में संवेदनाएं अपेक्षाकृत अधिक होती है।उसे अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए।
प्रारंभ में स्वागत भाषण में बाफना स्कूल के सीईओ डॉ. परमजीत सिंह वोहरा ने कहा कि बीकानेर साहित्य कला और संस्कृति की दृष्टि से उर्वर भूमि है। हमें खुशी है कि एक लेखक की रचना प्रक्रिया जान ने का आज अवसर मिला है।
आचार्य से सवाल वालों में रेणुका व्यास, डॉ. अजय जोशी, उषाकिरण सोनी, असित गोस्वामी, नवनीत पांडे, अमिता सेठिया, कमल रंगा, नृसिंह भाटी, मूलचंद बोहरा, मधु भादाणी, चंद्रशेखर जोशी, सुरेन्द्र सिंह शेखावत, भंवर पुरोहित, बीडी हर्ष, नगेन्द्र नारायण किराडू, प्रशांत बिस्सा, राकेश माथुर, आनंद जोशी, नितिन वत्सस, इसरार हसन कादरीआदि शामिल थे।
मधु आचार्य आशावादी का परिचय हरीशबी. शर्मा ने दिया। कार्यक्रम संचालन कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने किया। आभार व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने माना।
मधु आचार्य 'आशावादी ' लेखक से मिलिए कार्यक्रम30 अगस्त 2018स्थान : बाफना स्कूल अॉडिटोरियम, बीकानेर
HELLO BIKANER ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಗುರುವಾರ, ಅಗಸ್ಟ್ 30, 2018
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