हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in, बीकानेर । बीकानेर के रंगकर्मी चांदरतन जोशी (चांद रजनीकर) नहीं रहे। सुबह करीब आठ बजे के आसपास जोशी ने अंतिम सांस ली। अब नत्थूसर गेट के बाहर स्थित गवरा बादी श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। बता दें कि जोशी ने रंगमच के जरिए बीकानेर को विशिष्ट पहचान दिलाई। जोशी का जन्म 25 अगस्त, 1951 में हुआ।
अनुराग कला केन्द्र के माध्यम से रंगकर्म से सतत जुड़ाव रखने वाले चांद रजनीकर ने अपनी रंग यात्रा की एक लंबी पारी खेली। अपनी रंगयात्रा मे आपने जहां मंच पर विभिन्न किरदारों को मंच पर पूरी विश्वसनीय से साकार किया, वहीं मंच पार्श्व में अनेक नाटकों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आपके प्रमुख अभिनीत नाटकों में एटम बम, ओलमो, चौराहे रो कुओ, घरबंद, एक और द्रोणाचार्य, दुलारी बाई, जादूगर जंगल, भूमिका, विकल्प, अंधेर नगरी, फौजी, काया में काया, धूर्त समागत, सुनो युग प्रवर्तक, खम्मा अन्नदाता, चिडिय़ा बहन चिडिय़ा बहन दरवाजा खोलो, जी हुजूर, सोंदर्य की सांझ, मोटी आवाज, सुबह वापस लौटा दूंगा, चार कोट, काचर रो बीज व ऐसो चतुर सृजान आदि प्रमुख रहे।
चांद रजनीकर मूका अभिनय के भी काफी चर्चित कलाकार रहे, आपके मूकाभिनय के नाटक किस्सा कुर्सी का और चोर-चोर काफी चर्चित रहे तथा इनके अनेक प्रदर्शन भी हुवे। सामाजिक, राजनैतिक तथा विविध विषयों पर आधारित इन नाटकों में चांद रजनीकर ने हर तरह के किरदार को समझ कर, उसके परिवेश का अध्ययन कर उसका निर्वाह किया। आपके अभिनीत नाटकों के मंचन बीकानेर सहित देश के अनेक प्रमुख शहरों में हुए। इलाहाबाद में होने वाली अखिल भारतीय बहुभाषी नाट्य प्रतियोगिता में नाटक ‘खम्मा अन्नदाता’ के लिए आप श्रेष्ठ अभिनेता के रूप में पुरस्कृत भी हुए। इसके अलावा आप फिल्म व टीवी में भी सक्रिय रहे।