जयपुर hellobikanr.com मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी से लड़ने के क्रम में प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए राजस्थान के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के बिल को नियत्रिंत करने का संवेदनशील निर्णय लिया है। प्रदेश में निजी लैब कोरोना टेस्ट के लिए 2200 रूपये प्रति जांच तथा अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए भर्ती मरीजों के लिए सामान्य बेड का किराया 2000 रूपये प्रतिदिन और वेन्टीलेटर सहित आईसीयू बेड का 4000 रूपये प्रतिदिन से अधिक चार्ज नहीं ले सकेंगे।
गहलोत ने कोरोना संक्रमण की स्थिति पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर दो घंटे से ज्यादा समय तक हुई समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया। उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों से अधिक बिल की वसूली ना हो। इसके लिए महामारी अधिनियम सहित अन्य प्रावधानों के तहत आदेश जारी किए जाएं और उनकी सख्ती से पालना हो। उन्होंने कहा कि मरीजों से अधिक पैसा वसूलने वाले अस्पताल या लैब के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कोरोना संक्रमण की स्थिति पर मुख्यमंत्री निवास पर हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने #कोरोना_महामारी से लड़ने के क्रम में प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए #राजस्थान के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के बिल को नियंत्रित करने का संवेदनशील निर्णय लिया है।
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— CMO Rajasthan (@RajCMO) June 20, 2020
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए 21 जून से शुरू हो रहे प्रदेशव्यापी जागरूकता अभियान को सही रूप में जनता का अभियान बनाया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर प्रदेशवासी अपनी और अपनों की सेहत के प्रति सर्तक रहे। 22 जून को अभियान का डिजिटल लॉन्च होगा, जिसमें प्रदेश भर के पंचायत स्तर तक के जनप्रतिनिधियांे और प्राधिकारियों सहित लगभग 1 लाख लोग वर्चुअल कॉन्फ्रंेस के माध्यम से जुड़ेंगे। जिलों के प्रभारी मंत्री और सचिव भी जिला मुख्यालयों पर मौजूद रहकर अभियान में शामिल होंगे।
गहलोत ने कहा कि अभियान का उद्देश्य आमजन को यह संदेश देना है कि राज्य सरकार ने कोविड-19 के लिए जांच, मरीजों के इलाज, सदिंग्ध संक्रमितों के क्वारेंटाइन की पुख्ता व्यवस्था कर ली है, लेकिन इस महामारी से बचाव के लिए जनता को खुद अपना ध्यान रखना होगा। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है। इसलिए सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाने, साबुन से हाथ धोने जैसे हेल्थ प्रोटोकॉल की पालना में बरती गई लापरवाही महंगी पड़ सकती है।