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बीकानेर ( हैलो बीकानेर)। यश दवे न्याय संघर्ष समिति के बेनरतले शिक्षा निदेशालय का घेराव किया गया। शिक्षा निदेशक को सौंपे ज्ञापन में स्कूल संरक्षण में छात्र हत्या जैसे घृणित एवं अतिसंवेदनशील मामले में 5 सालों से लगातार संघर्ष और 1100 दिनों से ‘पुलिस के झूठ के पुलिंदेÓ चालान के विरोध में धरना देने के बावजूद न तो यश दवे संदिग्ध हत्या की जांच शुरू की है और न ही स्कूल की मान्यता समाप्त हुई है- हैलो बीकानेर को प्राप्त प्रेस नोट के अनुसार  राजस्थान सरकार की एनओसी (अनापति प्रमाण-पत्र) 31.03.16 तक थी, अब 01.04.16 से बिना अनापति प्रमाण-पत्र के स्कूल संचालन किया जा रहा है। निदेशक के आदेशानुसार स्कूल का अभिलेख लाना था, जो कार्य महज आधे घंटे का था, कथित कमेटी ने प्रलोभन में आकर १५ दिनों का समय हाईकोर्ट से स्टे लाने के लिए दिया। 31 महिनों में खुलासा नहीं किया गया है। निदेशालय से भेजे 74 साक्ष्य आज दिनांक तक हाईकोर्ट की फाईल में नहीं है, एक बार भी सुनवाई नहीं हुई, 31 महिनों से स्टे चला रहे है और अब ड्यू-कोर्स में डालने की जांच हो और सरकार के ऐसे पैरोकारों को ब्लैक लिस्टेड किया जाए। मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिला कलक्टर को देकर ध्यान में लाया गया कि पुलिस द्वारा किया गया चालान ‘झूठ का पुलिंदा है।Ó इस चालान में यश दवे संदिग्ध हत्या की जांच नहीं है। (सीआईडी) सीबी ने परिवादी चांद रतन दवे के कथन लेखबद्ध कर गहनता से अनुसंधान करने के निर्देश दिए थे, जांच अधिकारी ने पद का दुरुपयोग करते हुए चांद रतन दवे के कथनों को जांच में नहीं लिया। कोर्ट ने चालान लौटाकर चांद रतन दवे के अनुसंधान के दौरान लिए गए कथन दिनांक 24.2.2014 का आगे और अनुसंधान करने के निर्देश एसपी बीकानेर को दिए थे, परन्तु फिर भी चांद रतन दवे के कथनों को जांच में लिए बिना दुबारा चालान प्रस्तुत कर दिया। इस चालान में परिवादी के एक भी पत्र को, सबूत को, प्रमाण को, कॉल डिटेलें, माल बरामदगी, फोटोज, माँ के कथन, बाप के कथन और चांद रतन दवे के दिनांक 4.4.2013 और अनुसंधान के दौरान दिनांक 24.02.2014 के 9 पृष्ठीय लेखबद्ध कथनों को जांच में नहीं लिया है, इससे स्पष्ट है कि जांच अधिकारी ने जानबूझकर गलत अनुसंधान किया।

इस मामले के दो पहलू है-1. स्कूल संरक्षण में छात्र की मौत, 2. यश दवे की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या। जांच अधिकारी ने यश दवे की संदिग्ध हत्या की जांच इसलिए नहीं की, क्योंकि जांच अधिकारी और नियंत्रण अधिकारी अपराधियों के प्रभाव में थे। अपराधियों को कानून से बचाने की गर्ज से यश दवे संदिग्ध हत्या के किसी भी पहलू को जांच में नहीं लिया, मात्र स्कूल लापरवाही का चालान किया, जो मात्र ‘झूठ का पुलिंदा है।Ó सारा चालान और रिपोर्ट स्कूल की झूठी कहानी पर आधारित है। स्कूल की झूठी कहानी मास्टरों के नहर में कूदने से शुरू होती है, जिसका आज दिनांक तक सत्यापन नहीं किया गया है। जिन मास्टरों को तैरना नहीं आता है, वे 140 क्यूसेक तेज बहाव के नहरी पानी में से बचे कैसे? नाट्य रूपान्तरण में आने वाले खर्चे को वहन करने का लिखकर देने के बावजूद स्कूल की झूठी कहानी का सत्यापन नहीं किया जा रहा है। प्रतिनिधि मण्डल में समिति के संरक्षक भवानी आचार्य, यश दवे के पिता विष्णु रतन दवे, छात्र नेता आशीष विश्नोई, वेद व्यास, प्रशांत पूनिया, सोनू चड्डा, जसराज सीवर, बजरंग तंवर, बलदेव रंगा, मालचन्द सुथार, मुकुन्द व्यास, अरविन्द व्यास, जयप्रकाश श्रीमाली, गिरिश श्रीमाली, जितेन्द्र श्रीमाली, आकांक्षा दवे आदि शामिल थे, सभी ने यश दवे संदिग्ध हत्या की जांच कराकर पूरक चार्जशीट पेश करने की मांग की गई।

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