कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में जारी है। टीकाकरण अभियान के एक साल में रिकॉर्ड वैक्सीन लगाई गई है। दुनियाभर में भारत सरकार के इन प्रयासों की तारीफ हो रही है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वैसीन से दूरी बना रहे हैं। देशभर से ऐसे फोटो और वीडियो भी आए हैं, जहां जबरदस्ती टीका लगाया जा रहा है।
किसी की इच्छा के खिलाफ टीका लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में स्पष्ट किया है कि किसी की भी मर्जी के खिलाफ जबरन टीका नहीं लगाया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कोविड-19 टीकाकरण दिशानिर्देशों में किसी व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना जबरन टीकाकरण की अनुमति नहीं देते हैं।
दिव्यांग व्यक्तियों को टीकाकरण प्रमाण पत्र बनाने से छूट देने के मुद्दे पर केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उसने कोई एसओपी जारी नहीं किया है जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना अनिवार्य बनाता है। केंद्र ने यह बात अपने हलफनामे में गैर सरकारी संगठन इवारा फाउंडेशन की एक याचिका के जवाब में दायर की है।