बीकानेर hellobikaner.com रविवार को इंजीनियर दीपक कुमार शर्मा की दो कृतियों ‘सुनहरे पंख’ और ‘मृगतृष्णा’ लोकार्पण राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के उपाध्यक्ष व राजस्थानी के वरिष्ठ कवि-आलोचक डॉ.अर्जुनदेव चारण ने किया।
गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इन कृतियों के लोकार्पण कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कला-समीक्षक राजेश कुमार व्यास व मधुमती के संपादक डॉ.ब्रजरतन जोशी थे। अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने की।
डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि रचनाकार अपने समय को जीते हुए जो महसूस करता है, उसे रचकर अमर कर देता है। इसी को सृजन का सुख कहते हैं। उन्होंने कहा कि दीपक कुमार शर्मा के पास हिंदी, पंजाबी और राजस्थानी भाषा के संस्कार उनके कहन को सघन बनाते हैं।
कला-समीक्षक राजेश कुमार व्यास ने इस अवसर पर कहा कि किसी भी रचनाकार की पहचान उसकी कृति से होती है। दीपक कुमार शर्मा की पहचान भी उनकी रचनाओं से होगी। गंभीरता पूर्वक किया जाने वाला सतत लेखन ही श्रेष्ठ सृजन की ओर ले जाता है।
‘मधुमतीÓ के संपादक डॉ.ब्रजरतन जोशी ने इस अवसर पर हिंदी उपन्यास और कहानियों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बीकानेर की जमीन पर उगे इस नए उपन्यास का हिंदी जगत में स्वागत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि दोनों कृतियों से निकलते हुए मैं यह कह सकता हूं कि शर्मा ने कृतियों में न सिर्फ अपने अनुभव को रचा है बल्कि पाठकों के लिए बहुत कुछ नया दिया है, जिससे पाठक न सिर्फ अपनी स्मृतियों मे जाएगा बल्कि कई बार चौंकेगा भी।
इससे पहले पत्रवाचन करते हुए दीपक कुमार शर्मा के उपन्यास ‘सुनहरे पंख’ पर उपन्यासकार सीमा भाटी ने कहा कि ‘सुनहरे पंख से निकलते हुए यह कह सकती हूं कि यह उपन्याय एक ऐसी हकीकत बयानी है, जिसे लिखने से पहले लेखक ने खुद किरदारों को कई-कई बार जिया होगा।
कहानी संग्रह ‘मृगतृष्णा’ पर पत्रवाचन करते हुए कहानीकार ऋतु शर्मा ने कहा कि विसंगतियों से उपजी इन कहानियों में बदलती जीवनशैली केंद्र में है, जिसकी वजह से लोक जीवन-मूल्य भूलते जा रहे हैं। ये कहानियां न सिर्फ जन-रंजन करती है बल्कि मार्गदर्शन भी करती है। कृतियों के रचयिता दीपक कुमार शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि लिखता तो बचपन से ही रहा, लेकिन कभी किताब के रूप में सामने आएगी, सोचा नहीं।
हमेशा झिझक रहती, लेकिन धीरे-धीरे घर-परिवार का सहयोग मिला। गायत्री प्रकाशन के सहयोग से यह कृति रूप से सामने आई।
वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी ने स्वागत भाषण दिया। कवि का परिचय शिक्षिका डॉली शर्मा ने दिया। संचालन रंगकर्मी रामसहाय हर्ष व कवि-कथाकार नगेंद्र नारायण किराड़ू ने कार्यक्रम का संचालन किया।