अहमदाबाद। भारतीय दवा विनिर्माण संघ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष विरंचि शाह ने आज दावा किया की गत एक जुलाई से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के चलते देश के नंबर एक औषधि विनिर्माता राज्य गुजरात का भारतीय औषधि कारोबार में हिस्सा मौजूदा करीब 32 प्रतिशत से बढ कर 40 प्रतिशत हो जायेगा जबकि इस दौरान राज्य में 22 से 25 हजार रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे।
श्री शाह ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एक डेढ दशक पहले तक गुजरात का औषधि विनिर्माण क्षेत्र में हिस्सा करीब 42 प्रतिशत था पर 2003-04 में केंद्र सरकार की एक नीति के चलते उत्तर और उत्तर पूर्व के राज्यों में ऐसी इकाइयां लगाने पर आयकर में पांच साल तक और उत्पाद शुल्क में 10 साल तक छूट तथा अन्य सुविधायें मिलने से गुजरात का हिस्सा गिर कर 32 प्रतिशत पर आ गया। देश का घरेलू औषधि विनिर्माण क्षेत्र करीब एक लाख करोड का तथा निर्यात भी इतनी ही राशि का है यानी कुल इस क्षेत्र का कुल आकार 2 लाख करोड का है। इसमें गुजरात का हिस्सा 60 हजार करोड से कुछ अधिक है। कुल निर्यात में 28 प्रतिशत यानी 28 हजार करोड का हिस्सा भी गुजरात का है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से अब पूरे देश में इसके लिए एक बराबर कर व्यवस्था फिर से लागू हो गयी है। इससे गुजरात से दूसरे राज्यों में गये औषधि विनिर्माता फिर से वापस राज्य की ओर लौटने लगे हैं क्योंकि यहां करीब 110 साल पुराने औषधि विनिर्माण क्षेत्र में कई तरह की अन्य बेहतर सुविधाएं और माहौल मौजूद हैं। 2020 तक इसका हिस्सा एक बार फिर बढ कर 40 प्रतिशत तक हो जाने की उम्मीद है। फिलहाल राज्य में औषधि विनिर्माण क्षेत्र में करीब 90 हजार लोगो को राेजगार मिला है और उक्त वृद्धि से 22 से 25 हजार नये रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
श्री शाह ने कहा कि जीएसटी को लेकर पैदा हुई शंका के चलते मई से लेकर जुलाई के अंत तक स्टॉक और अन्य बातों के चलते गुजरात में औषधि विनिर्माण क्षेत्र में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट हुई थी पर अब यह सामान्य स्तर की ओर लौटने लगा है। राज्य में औषधि निर्माण की कुल करीब एक हजार छोटी मझौली और बडी इकाइयां हैं।
उन्होंने बताया कि औषधि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण सालाना आयोजन 8 वां फारमैक इंडिया सात से नौ नवंबर तक अहमदाबाद में आयोजित होगा।
श्री शाह ने बताया कि राज्य में तीन नये औषधि क्षेत्र के क्लस्टर स्थापित करने पर भी तेजी से काम चल रहा है। इनके लिए भूमि चिन्हीकरण का काम लगभग अंतिम चरण में हैं।