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बीकानेर। नैतिक ढंग से अर्जित धन तनाव पैदा नहीं करता। अनीति से प्राप्त धन से व्यक्ति तनावग्रस्त व दुखी रहता है। यह बात मुनिश्री पीयूष कुमार ने आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर नैतिकता का शक्तिपीठ गंगाशहर पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि शारीरिक बल, मानसिक ताकत, ज्ञान की शक्ति, जन बल आदि शक्तियों की तरह धन में भी एक शक्ति होती है। इन ताकतों के स्त्रोत अलग अलग हो सकते हैं पर सही स्त्रोत से प्राप्त शक्ति ही कारगर होती है। गलत स्त्रोत से प्राप्त शक्ति से व्यक्ति कुण्ठाग्रस्त हो जाता है। समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. अजय जोशी ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के परिपेक्ष्य में आचार्य तुलसी के उपदेशों एवं सिद्धान्तों की प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों का महत्व है। डॉ. जोशी ने कहा कि व्यवसाय में नैतिकता अपनाई जाए। अगर व्यक्ति नैतिकता को छोड़ देता है तो सरकार भी कानून बनाकर आर्थिक नैतिकता कायम करने का प्रयास करती है। संगोष्ठी का विषय परिवर्तन करते हुए जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि देशभर में विमुद्रीकरण के बाद नैतिकता की बात जोर-शोर से उठ रही है। हर व्यक्ति व वर्ग एक-दूसरे को चोर समझ रहा है जबकि आचार्य तुलसी ने देश की आजादी के तुरन्त बाद अणुव्रत आन्दोलन प्रारम्भ करके नैतिकता की प्रतिष्ठा का आह्वान किया। कोषाध्यक्ष जतन लाल दूगड़ ने आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी ने सुधरे व्यक्ति-समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा की बात कही थी। दूगड़ ने कहा कि आचार्य तुलसी का अणुव्रत आन्दोलन, नीति रो प्यालो जैसे आख्यान, प्रतिक्रमण में किए जाने वाले संकल्प नैतिकता, संग्रहसीमा व सादगी पूर्ण जीवन का संदेश देते हैं।

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