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आदर्श आचार संहिता की अनुपालना राजनीतिक दलों का नैतिक दायित्व भी-गौतम

बीकानेर। जिला निर्वाचन अधिकारी कुमार पाल गौतम ने कहा है कि लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। मॉडल कोड ऑफ कन्डेक्ट के हिसाब से चुनाव प्रचार कार्य करना राजनीतिक दलों का वैधानिक ही नहीं नैतिक दायित्व भी है। सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बैठक में जिला निर्वाचन अधिकारी ने  पावर पोईन्ट प्रजेन्टेशन के माध्यम से आदर्श आचार संहिता के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी व राजनीतिक दल धर्म, भाषा, जाति, सम्प्रदायिक द्वैष पैदा करने से जुड़ा कोई बयान न दें और पुलिस प्रशासन को शांतिपूर्वक तरीके से चुनाव कार्य सम्पन्न करने में योगदान करें। उन्होंने कहा कि प्रत्याशी व दल किसी भी अन्य प्रतिद्धंद्वी की निजी या व्यक्तिगत बुराई न करें। चुनाव प्रचार में आलोचना को केवल नीतिगत आलोचना तक ही सीमित रखे।
गौतम ने कहा कि राजनीतिक दल मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि किसी भी धार्मिक स्थान का उपयोग चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए नहीं करें। नैतिकता रखते हुए लोकतंत्र की सर्वोच्च जन भावना का आदर करें और मतदाताओं को रिश्वत, धनबल सहित किसी भी गैर वैधानिक उपकरण से प्रभावित करने का प्रयास न करें। उन्होंने कहा कि प्रत्याशी व राजनीतिक दल इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चुनाव प्रचार के दौरान निजी सम्पतियों आदि का इस्तेमाल बिना मालिक की लिखित अनुमति के नहीं करें। राजनीतिक दल व प्रत्याशी प्रचार-प्रसार के लिए सभा, जुलूस, रैली आदि के आयोजन से पूर्व आवश्यक रूप से अनुमति लें। सभा जुलूस शांतिपूर्वक रूप से सम्पन्न करने के लिए पुलिस का सहयोग लें।
सुविधा पोर्टल से लें अनुमति
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रत्याशी और राजनीतिक दलों को सभा, रैली जुलूस आदि के आयोजन की अनुमति के लिए सुविधा पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।  उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल व प्रत्याशी सभा, रैली जुलूस आदि के आयोजन से कम से कम 48 घंटे पूर्व आवेदन करें ताकि प्रशासन सम्पूर्ण व्यवस्थाएं बनाए रखते हुए अनुमति प्रदान कर सके।  जुलूस समय पर आयोजित हो तथा ट्रेफिक व्यवस्था बाधित न हो।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि राजनीतिक पार्टियों, प्रत्याशियों या उनके समर्थकों द्वारा प्रकाशित करवाए जाने वाले पम्पलेट (पर्चे), पोस्टर, विज्ञापन अथवा हैण्डबिल प्रकाशित या मुद्रित करवाते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 के विभिन्न प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करनी होगी।
उन्होंने बताया कि पम्पलेट (पर्चे) और पोस्टर के मुख्य पृष्ठ पर मुद्रक एवं इसके प्रकाशक का नाम और पता अनिवार्य रूप से लिखवाना होगा। कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन पम्पलेट (पर्चे) अथवा पोस्टर का मुद्रण तब तक नहीं कर अथवा करवा सकेगा जब तक कि प्रकाशक की पहचान की घोषणा उसके द्वारा हस्ताक्षरित तथा दो व्यक्ति जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हो द्वारा सत्यापित न करवाया जावे। सत्यापन के पश्चात मुद्रक को इसकी दो प्रतिलिपि देनी होगी। दस्तावेज के प्रकाशन के पश्चात मुद्रक इसकी एक प्रति तथा घोषणा पत्र की एक प्रति जिला निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करेगा।
उल्लंघन पर होगी 6 माह की सजा
गौतम ने कहा कि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो वह 6 महीने का कारावास अथवा 2 हजार रूपए जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित होगा। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान धर्म, वंश, जाति, समुदाय, भाषा या विरोधी के चरित्र हनन जैसे आधार पर अपील जैसी अवैध सामग्री प्रकाशित करवाई जाती है, तो सम्बन्धित व्यक्तियों के विरूद्ध आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। साथ ही ये राजनैतिक दलों,अभ्यर्थियों तथा उनके समर्थकों द्वारा निर्वाचन पम्पलेटों (पर्चों), पोस्टरों आदि के मुद्रण और प्रकाशन पर हुए अनाधिकृत व्यय पर रोक लगाने में सहायक होंगे। बैठक में उप जिला निर्वाचन अधिकारी ए.एच.गौरी, एडीएम सिटी शैलेन्द्र देवड़ा, कांग्र्रेस के गजेन्द्र सांखला, प्रहलाद सिंह मार्शल, भाजपा के सत्य प्रकाश आचार्य,एडवोकेट अशोक भाटी सहित विभिन्न अधिकारी शामिल हुए।

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