हैलो बीकानेर न्यूज़। बीकानेर से लगभग 60 किलोमीटर दूर बाबा पूनरासर का भव्य मंदिर है यहाँ पर भादवा माह में भव्य मेला भरता है। इस मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु पैदल, बस फिर अपने निजी वाहनों से दर्शन करने आते है। पूनरासर के भक्तो की श्रद्धा इतनी ज्यादा है की मेले के दिन से 4/5 पहले से ही यहाँ भीड़ शुरू हो जाती है। मंदिर के साथ साथ पूनरासर गाँव को भी सजाया जाता है।
तीन शताब्दी से अधिक पुराने पूनरासर हनुमान मंदिर में मंगलवार को आयोजित हुए मेले में आस्था व भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। बीकानेर शहर व आस पास के इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूनरासर पहुंचे। मंगलवार को बड़ी संख्या में निजी वाहनों ओर बसों से श्रद्धालुओं का पूनरासर पहुँचना जारी रहा। मन्दिर परिसर से लेकर बाहर तक श्रद्धालुओं की लंबी लम्बी कतारे लगी हुई थी। बाबा के भक्त हाथ मे चूरमे का प्रसाद,नारियल और माला लिए बाबे को भोग लगाकर मनवांछित फल की कामना कर रहे थे।उधर जात, झड़ूलें लगाने वालों की भी भीड़ लगी हुई थी। निज मन्दिर के दर्शन के बाद भक्त गण खेजड़ी स्थित मन्दिर के दर्शन भी जयकारों के साथ लगाते नजर आए। प्रत्येक वर्ष ऋषि प ंचमी के बाद भादवे के पहले शनिवार या मंगलवार को भरने वाले मेले के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। फोटो : राजेश छंगाणी
कोलकाता, मुुंबई, इंदौर सहित देश के कई बड़े शहरों से भी भक्त दर्शन के लिए पहु ंचे हैं। मंदिर परिसर की कोटडिय़ां, धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से भरी हैं, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस-पास के ग्रामीणों के घरों, स्कूल, अस्पताल परिसर, स्वयं सेवी और सामाजिक संगठनों द्वारा लगाएं गए टैंटों में आशियाना बना रखा है। भगवान हनुमान के प्रति गहरी आस्था रखने वाले अनेक यहां पहुंच कर अपने बच्चों के मुंडन संस्कार करते हैं वहींं नव-विवाहित दम्पति भी दर्शन के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं की ओर से मनोकामना पूर्ति के लिए सवामणि भोग, पाठ आदि कर अपने अराध्य को मनाया। मंदिर परिसर के खेजड़ी के पास के पुराने हनुमानजी के म ंदिर में रामचरित मानस के अखंड पाठ से मानस की चौपाइयां विभिन्न राग व तरन्नुम में गूंजी।
प्राचीन खेजड़ी वाले मंदिर के पास अनेक श्रद्धालुओं ने बच्चों के मुंडन संस्कार किए वहीं नव विवाहित दम्पतियों ने जोड़े के साथ जात लगाई। मनोकामना पूर्ति के लिए खेजड़ी पर मोळी बांधी हैंं । अनेक परिवारों की ओर से सवामणि का भी भोग लगाया गया है। पद यात्रियों के लिए विभिन्न संस्थाओं की ओर से पेयजल, चाय, नाश्ता, भोजन, प्रसाद व स्नान, विश्राम आदि की व्यवस्था की गई है। प्रशासन की ओर से मंदिर परिसर में भी भीड़ नियंत्रण व व्यवस्था बनाए रखने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाए गए। राजस्थान पथ परिवहन निगम की ओर से जस्सूसर गेट सहित अनेक जगहों से विशेष बसों का संचालन किया गया।