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जयपुर hellobikaner.in राजस्थान में राज्य मंत्रिपरिषद ने आज “केन्द्र सरकार अग्निपथ योजना को वापस ले” का प्रस्ताव पारित किया हैं।

 


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास पर राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सर्वसम्मति से आज यह प्रस्ताव पारित किया। बैठक में राज्य मंत्रिपरिषद् ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया कि व्यापक जनहित एवं युवाओं की भावना को ध्यान में रखते हुए अग्निपथ योजना को वापस लिया जाए। बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की गई।

 


बैठक में चर्चा की गई कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जो अपने अदम्य साहस के लिए जानी जाती है। हमारी सेना का इतिहास गौरवशाली रहा है, जिस पर पूरे देश को गर्व है। सेना का आत्म-विश्वास और उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे, इसके लिए सेना में कुशलता, अनुभव एवं स्थायित्व होना आवश्यक है। सेना में दक्षता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि अल्पकाल के स्थान पर स्थायी रूप से भर्तियां हों, ताकि उनके अनुभव का लाभ देश को मिल सके। सेना सभी संसाधनों से युक्त हो और उसे निरंतर मजबूत किया जाए।

 


बैठक में चर्चा हुई कि केंद्र सरकार ने हाल ही सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लागू की है। सेना में भर्ती के लिए इस योजना में किए गए प्रावधानों को लेकर देशभर में भारी विरोध सामने आया है। इस योजना से युवाओं में भविष्य को लेकर कई आशंकाएं पैदा हो गई है। इसके चलते देश के विभिन्न इलाकों में युवा सड़क और पटरियों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सार्वजनिक सम्पत्ति के साथ तोड़फोड़ की घटनाएं हो रही हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखण्ड, जम्मू-कश्मीर, असम सहित विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में तो युवाओं ने ट्रेन की बोगियों में आग लगा दी।

 


मंत्रिपरिषद की बैठक में चर्चा की गई कि कई सैन्य विशेषज्ञों का भी मत है कि अग्निपथ योजना से न तो युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा, ना ही देश की सेना पूर्ण आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना कर सकेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि देश की सेना में नियमित भर्तियां हों, सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण मिलने के साथ ही उन्हें वे समस्त परिलाभ मिलें, जिससे उनका और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके। अतः राज्य सरकार का यह मानना है कि केन्द्र सरकार को ऎसी कोई भी योजना लाने से पहले सभी हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा करनी चाहिए थी।

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