परेश रावल ने कहा कि भारत में नाटक की प्राचीन परंपरा है और हमारे पास नाट्य शास्त्र भी हैए जिसमें अभिनय विधा के हर सूक्ष्म तत्व पर बात की गई है। अफसोस इस बात का है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भी नाट्य शास्त्र नहीं पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय नाट्य शास्त्र को थिएटर के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये।
एनएसडी के उपाध्यक्ष व कृति के लेखक डाॅ. अर्जुन देव चारण भारतीय परम्पराओं में नाट्य शास्त्र न सिर्फ नाट्य का बल्कि समस्त कलाओं का आधार ग्रंथ है। लेकिन होता ये है कि हम जब भी नाट्य शास्त्र की चर्चा करते हैं तो केवल रस और भाव तक केन्द्रीत रहते हैं और दुसरे तमाम पक्षों को हम छोड़ कर चलते हैं, जबकि जो सिद्धांत रूप है वो ज्यादा जरूरी है। मेरा यही ध्येय था कि ये सब आज की नई पिढ़ी के सामने आये।
नेशनल ओपन स्कूल के सचिव प्रदीप कुमार मोहंती ने कहाये पुस्तक हमारी परम्पराओं से हमें तार्किक रूप से जोड़ती है, ऋग्वेद से नाट्य लिया गया यजुर्वेद से अभिनय लिया गया है ये तो बहुत सी किताबें बताती हैं। लेकिन क्यों लिया गया ये यही पुस्तक बताती है। नाट्य से जुड़े हमारे ही लोग विदेशी धारणाओं के बारे में तो खुब जानते हैं, लेकिन अपने ही नाट्यशास्त्र और अपनी नाट्य परम्परा के बारे में नहीं जानते। ऐसे में ये पुस्तक इस रूप में भी जरूरी है कि ये हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का काम करेगी। कार्यक्रम का संचालन दीपक कुमार व प्रकाश झा ने किया।