हैलो बीकानेर न्यूज नेटवर्क, चूरू, जगदीश सोनी, जिले के एक छोटे से गांव रतननगर के निवासी डॉ. आर. के. सुरेका ने अपनी माता त्रिवेणी देवी के निधन (1994) पर अपने गाँव के लिए कुछ करने का प्रण लिया। इसके लिए उन्होने देखा मिर्गी रोग (ऐपिलेप्सी) के बारे में गांव व कस्बों में बहुत सी भ्रातियाँ प्रचलित है एवं दूर-दराज गांव होने से विशेषज्ञों की सेवाएँ उपलब्ध नही हो पाती है।
इसी प्रेरणा को लेकर उन्होने अपने गांव मे माह के पहले मंगलवार को प्रतिमाह एक निःशुल्क मिर्गी निदान व उपचार शिविर 1994 से आरम्भ किया। पहले कैम्प में 25 मिर्गी रोगियो को निःशुल्क एक माह की दवाइयां उपलब्ध कराई गई। आज दिसम्बर 2022 तक निरन्तर पिछले 28 वर्षाे से प्रतिमाह निःशुल्क कैम्प लगाकर के गांव में अपने व अपनी टीम की सेवाएं दी है।
इसमें देश के विभिन्न गांवो व कस्बों से करीब 8000 मरीज रजिस्टर्ड है, जिनका सारा खर्चा डॉ. सुरेका स्वयं वहन करते हैं । 339वें कैम्प में दिसम्बर माह में लगभग 550 मरीजो ने जो कि देश के विभिन्न शहरो व प्रान्तो से आए थे। इस कैम्प से लाभान्वित हुए हर कैम्प की तरह सभी मरीजो को विशेषज्ञों द्वारा जांच कर पूरे महिने की दवाइयां निःशुल्क वितरित की गई एवं हर कैम्प की तरह मिर्गी रोग से सम्बन्धित भ्रातियाँ एपिलेप्सी परामर्शदाता द्वारा दूर की गई इस तरह की सेवा भारतवर्ष में राजस्थान में ही उपलब्ध है।
जिसको देखकर के डॉ. सुरेका का नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्डस, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस, गिनीज बुक ऑफ रिकार्डस, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस विश्व में सबसे ज्यादा निःशुल्क ऐपिलेप्सी कैम्प एवं मिर्गी रोग के लिये जागरूकता पैदा करने के लिए दर्ज है। डॉ. सुरेका ने मिर्गी रोगियो के लिये एक मोबाईल ऐप श्मिर्गी समझो एपश् तथा एक हैल्प लाईन नं. भी लांच किया है जिसमें कोई भी गरीब मिर्गी रोगी सहायता ले सकता है।
डॉ. सुरेका ने मिर्गी रोगियो के नियंत्रण के लिये सरकार को भी प्रस्ताव दिया है कि जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला अस्पतालों तक मिर्गी रोगियो को निःशुल्क दवाईयों व परामर्श दिया जाए। तो मिर्गी रोगियों के दौरों पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। इस नववर्ष में उन्होंने मिर्गी रोगियो के लिये आगे भी इसी तरह से काम करने का प्रण लिया है।