हैलो बीकानेर,। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा आयोजित तृतीय महाराजा गंगासिंह स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए मुख्य वक्ता प्रो. शिवकुमार भनोत ने कहा कि गंगासिंह के शख्सियत रही जिसको एक घाटे में जाता हुआ राज्य मिला, वह काल जिसमें अपने अस्तित्व की रक्षा ही एक चुनौतिपूर्ण कार्य था, उस काल में विकास की गंगा बहाना दुर्लभ कार्य था, जिसे गंगासिंह जी ने बखूबी निभाया। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जिसमे गंगासिंह जी ने नवाचार और सुधार नहीं किए हों। प्रो. भनोत ने कहा कि गंगासिंह पहले भारतीय ब्रिटिश इण्डियन मिलिट्री के सेनाध्यक्ष थे। लालगढ़ ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ठाकुर दिलिप सिंह जी, हनुमंत सिंह जी ने महाराजा गंगासिंह से संबंधित तमाम साहित्य एवं दस्तावेज उपलब्ध कराने का आश्वसान दिया।
मुख्य अतिथि देवस्थान विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री राजकुमार रिणवा ने महाराजा गंगासिंह की लोक संस्कृति व लोक संगीत में उपस्थिति को इंगित करते हुए कहा कि कई राजस्थानी गीतों में गंगासिंह के द्वारा कार्यो संपादित का उल्लेख हैं। उनके कार्य सराहनीय ही नही बल्कि अनुकरणीय भी रहे हैं।
कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने अगले सत्र से इस व्याख्यानमाला को विश्वविद्यालय स्तर पर करवाने की घोषणा की। साथ ही साथ यह घोषणा भी की शोधार्थियों के लिए विश्वविद्यालय गंगासिंह जी के नाम पर ‘‘गंगासिंह अवार्ड’’ शोध के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी को दिया जाएगा, साथ ही उन्होंने गंगासिंह के गंगनहर को लाने के भागीरथी प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में भी जल संरक्षण व्यवस्था व जल की उपलब्धता पर विशेष जोर दिया जाएगा। कुलपति ने अगली व्याख्यानमाला गंगासिंह जी कर पुण्यतिथि पर करने की घोषणा की, साथ ही यह भी कहा कि गंगासिंह जी के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय द्वारा भविष्य में संपादित किए जाएंगे उनके स्मृति चिन्ह में विश्वविद्यालय के लोगों के अतिरिक्त गंगासिंह जी की तस्वीर शामिल होगी।
विभाग की संक्षिप्त जानकारी व स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष नारायण सिंह राव ने दिया व विभिन्न आलोचकों की दृष्टि में गंगासिंह जी की शख्सियत पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम समन्वय डा. मेघना शर्मा ने वित्त एवं कॉरपोरेट मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल का बधाई संदेश मंच से पढ़ते हुए अपने मंच संचालन के दौरान गंगासिंह जी के विविध कार्यो पर भी प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि स्वामी संवित सोमगिरी जी महाराज ने आध्यात्म और संस्कृति के दृष्टिकोण से गंगासिंह के डाल का अध्ययन प्रस्तुत किया।
कुलसचिव श्री प्रेमाराम परमार ने गंगासिंह को कुशल सेनापति बताते हुए कहा कि गंगासिंह वो पहले अश्वेत थे, जिन्होंने ब्रिटिश वार केबिनेट में अपनी जगह बनाई तत्समय राजतंत्र आवश्यकता थी किन्तु गंगासिंह जी प्रजातान्त्रिक विचारधारा के पक्षधर थे। कार्यक्रम मे डूंगर महाविद्यालय की प्राचार्य डा. बेला भनोत समेत उच्च शिक्षा शोध व संस्कृति से जुड़े विशिष्टजनों के अलावा भारी संख्या में विधार्थी शामिल थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. अंबिका ढ़ाका ने प्रस्तुत किया।