हैलो बीकानेर,। साहित्यकार महेन्द्र मोदी के संस्मरणों की कृति ‘अधजागी रातां रू अघसूता दिन’ का लोकार्पण प्रतिष्ठित पत्रकार ओम थानवी, समालोचक डॉ. श्रीलाल मोहताए कवि.आलोचक डॉ. मंगत बादल, वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा, आलोचक डॉ. नीरज दइया, कहानीकार राजेन्द्र जोशी, प्रशांत बिस्सा एवं हिंगलाज दान रतनू ने स्थानीय ढोला मारू होटल के सभागार में किया।
वरिष्ठ लेखक.पत्रकार एवं जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी ने कहा कि इस पुस्तक द्वारा बीकानेर का सांस्कृतिक इतिहास जिन शब्दों और भाषा में प्रस्तुत हुआ है वह उल्लेखनीय है। अगर किसी पुस्तक के द्वारा पाठक का अपना स्मृति.लोक खुलता चला जाए तो इसे पुस्तक की सार्थकता माना जाना चाहिए। थानवी ने कहा कि राजस्थानी भाषा के उत्थान और विकास के लिए ऐसी अनेक पुस्तकों को आना चाहिए जिससे हमारी भाषाई अस्मिता की व्यापक पहचान पुखता हो सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि महेन्द्र मोदी के पास प्रख्यात साहित्यकार अन्नाराम सुदामा सदृश्य भाषा.शैली है जो पाठकों को प्रभावित करती है। मोहता ने कहा कि इस पुस्तक के सूक्ष्म मर्मस्पर्शी वर्णन और व्यंजनाओं से एक बार जुड़ने वाला पाठक इसे पढ़ता चला जाएगा यह पुस्तक की विशेषता है।
मुक्ति के सचिव कवि.कहनीकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि मुक्ति संस्था एवं स्वामी कृष्णानंद फाऊंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित लोकार्पण समारोह में मंचस्थ अतिथियों के साथ जाने.माने मीडियाकर्मी एवं विविध भारती के पूर्व चैनल हैड एवं पुस्तक के लेखक महेन्द्र मोदी का सांझी विरासरत द्वारा सम्मान भी किया गया। जोशी ने कहा कि महेन्द्र मोदी की इस पुस्तक में अनुभूतियों का प्रामाणिक चित्रण हुआ है।
कार्यक्रम के आरंभ में दोनों संस्थाओं की तरफ से हिंगलाज दान रतनू ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए बीकानेर की पुस्तक.संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए ऐसी साहित्यिक गतिविधियों को उल्लेखनीय बताया।
रायसिंहनगर से पधारे मुख्य अतिथि कवि.आलोचक डॉण् मंगत बादल ने पुस्तक की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए लेखक से प्रकाशन तक की यात्रा के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि यह कृति राजस्थानी संस्मरण विधा को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण मुकाम के रूप में पहचानी जाएगी। बादल ने कहा कि लेखक के पाठ भाषा का अधिकार और किसी अनुभव को भाषा में रूपांतरित करने का हुनर देखते ही बनता है।
मुख्य अतिथि व्यंग्यकार कहानीकार बुलाकी शर्मा ने महेन्द्र मोदी की कृति से अनेक संस्मरणों को साझा करते हुए पुस्तक के प्रवाह और पठनीयता को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि इससे राजस्थानी गद्य साहित्य को एक आयाम मिलेगा।
कवि.आलोचक डॉ. नीरज दइया ने अपने पत्रवाचन में ‘अधजागी रातां रू अधसूता दिन’ को महेन्द्र मोदी की आत्मकथा का प्रथम भाग बताते हुए कहा कि इस खंड के वर्णन कौशलए सहज शिल्प में भाषा अनेक दृश्य बनाती हुई हमें उन स्थलों तक ले जाती है जिनका वर्णन पुस्तक में हुआ है। दइया ने कहा कि इस पुस्तक को इसके विधागत महत्त्व और अभिव्यंजना कौशल क्षमता से इस दशक की महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में स्थान मिलेगा।
कार्यक्रम में कोटा के साहित्यकार पुरुषोत्तम पंचोलीए नवनीत पाण्डेए डॉ बसंती हर्षए सरोज भाटीए विजय खत्री, मधु आचार्य, पृथ्वीराज रतनू, मनमोहन कल्याणीए हीरालाल हर्ष, कमल रंगाए मंदाकिनी जोशीए डॉ. रेणुका व्यासए चंद्रशेखर जोशी, रवि पुरोहित, ज्योतिप्रकाश रंगा, रवीन्द्र हर्ष, ओम सोनीए कैलाश भारद्वाज, एस डी चौहानए दयानंद शर्मा, एन एन सोनीए डॉ, ओम कुबेराए मुक्ता तैलंगए महेन्द्र जैनए योगेन्द्र पुरोहित, जाकिर अदीबए राजेन्द्र आचार्य, अशोक जोशी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कवि राजेन्द्र जोशी ने किया तथा आभार कवि.नाटकार हरीश बीण् शर्मा ने ज्ञाप्तित किया।