इतिहास को मानवता का इतिहास बताया, पुरूषार्थ का इतिहास बताया ।
इससे पूर्व मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन के उपरान्त कार्यक्रम समन्वयक इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. नारायण सिंह राव ने स्वागत भाषण के साथ साथ विश्वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डाला। संपूर्ण आयोजन की संयोजक डाॅ. मेघना शर्मा ने व्याख्यानमाला के इतिहास का चित्रण करते हुए अतिथियों के परिचय मंच से पढकर सुनाए। सारस्वत अतिथि की भूमिका में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के संगठन सचिव श्री मदन गोपाल व्यास ने कहा कि भारतीय इतिहास एवं संस्कृति की सर्वोच्चता इसी बात से प्रमाणित होती है कि सारी दुनिया के वैज्ञानिक अपने अनुसंधानों में सरस्वती नदी के अस्तित्व व प्रवाह की दिशा खोजने में संलग्न हैं।
कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह अपने उद्बोधन में युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण में प्राचीन व आधुनिक भारतीय शख्सियतों पर आधारित ऐसे स्मृति व्याख्यानों व परिसंवादों को महत्वपूर्ण बताया व कहा कि आज इतिहास को नई दृष्टि से लिखे जाने की आवश्यकता है। अपने नाम को भी सही प्रकार से लिखे जाने का ज्ञान युवा पीढ़ी को करवाने के प्रयत्न करने की महती आवश्यकता है । अतिथियों का मंच से सम्मान भी किया गया ।