Share

हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in          बीकानेर। मां की कोख बच्चे की पहली और गोद दूसरी पाठशाला होती है। मां की दृष्टि और सोच ही बच्चे के भविष्य निर्माण की दिशा तय करती है। लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता स्वामी विमर्शानंद ने शनिवार को रघुनाथसर कुआं स्थित भारतीय आदर्श विद्या मंदिर के द्वारा आयोजित मातृ सम्मेलन के दौरान यह उद्बोधन दिया।

 

 

उन्होंने कहा कि आज के दौर में बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी जरुरी है। यह कार्य एक मां ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि मां परंपराओं को समझने वाली और संस्कृति को आगे बढ़ाने वाली होती है। मां को अपना दायित्व समझते हुए बच्चे के सर्वांगीण विकास की राह बनानी चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में आदिकाल से सोलह संस्कारों को महत्त्व दिया गया है। गर्भाधान संस्कार सबसे पहला और महत्वपूर्ण संस्कार है। उन्होंने कहा कि सही मायनो में मां ही राष्ट्र की आधारशिला है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से मां की भूमिका के बारे में बताया।
राष्ट्रीय सेविका समिति की महानगर व्यवस्था प्रमुख चंद्रकला आचार्य ने कहा कि मां को रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होल्कर, जीजाबाई और मदालसा जैसी महान माताओं की तरह बनने की जरूरत है। ऐसा होने पर ही वीर शिवाजी जैसे महान राष्ट्रभक्त पैदा होंगे। वाणिज्य कर अधिकारी डॉ. अनिता जोशी ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में आज के दौर में मां की जिम्मेदारी और बढ़ी है। एक मां के रूप में स्त्री को इसे समझने की ज़रूरत है।

 

विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्षनरेंद्र अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन किया और मातृ सम्मेलन की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रधानाचार्य घनश्याम व्यास ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन श्रीवल्लभ पुरोहित ने किया। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती, भारत माता और ओम की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

About The Author

Share

You cannot copy content of this page