प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार का केन्द्र बिन्दु सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है। लोगों से किये गये वादों में से एक को पूरा करते हुए, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) दूसरे अध्यादेश, 2019 (2019 के अध्यादेश 4) का स्थान लेगा।
प्रभाव:
यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं को लिंग समानता प्रदान करेगा और न्याय सुनिश्चित करेगा। यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में मदद करेगा और उनके पति द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ से तलाक लेने से रोकेगा। विधेयक संसद के अगामी सत्र में पेश किया जायेगा।
आशय:
- इस विधेयक में तीन तलाक की परिपाटी को निरस्त और गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
- इसे तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध माना गया है।
- इसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं और उनके आश्रित बच्चों को गुजारा-भत्ता देने की व्यवस्था है।
- इस विधेयक में अपराध को संज्ञेय बनाने का प्रस्ताव है, यदि पुलिस थाने के प्रभारी को उस विवाहित मुस्लिम महिला अथवा उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा अपराध होने के संबंध में सूचना दी जाती है, जिसे तलाक दिया गया है।
- जिस विवादित मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया है, उसकी जानकारी के आधार पर मजिस्ट्रेट की इजाजत से अपराध को कठोर बनाया गया है।
- विधेयक में मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को जमानत पर रिहा करने से पहले उस विवाहित मुस्लिम महिला की बात सुनने का प्रावधान किया गया है, जिसे तलाक दिया गया है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) विधेयक, 2019 मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) दूसरे अध्यादेश, 2019 (2019 के अध्यादेश 4) के समान है।