श्रीगंगानगर hellobikaner.in राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में सूरतगढ़ में राजस्थानी भाषा प्रेमियों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के कार्यक्रमों में शिरकत नहीं करने का ऐलान किया है।
सूरतगढ़ में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया एवं प्रदेश मंत्री मनोजकुमार स्वामी ने संयुक्त रूप से आज प्रेस वार्ता में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि भाषा मनुष्य की पहचान है। एक व्यक्ति को दूसरे से जोड़ने का माध्यम है। भाषा ही सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण कड़ी है। राज्य सरकार द्वारा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता के लिए 25 अगस्त 2003 को सर्व सहमति से प्रस्ताव भेज दिया था। केन्द्र सरकार इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है। करोड़ों राजस्थानियों को भाषाई आजादी से वंचित रखा जा रहा है। केन्द्र सरकार स्थानीय भाषाओं को बढावा देने का केवल ढिंढोरा पीट रही है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बालक की प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा मे होनी चाहिए, फिर राजस्थान के बालकों से भेदभाव क्यों। उन्हें मातृभाषा राजस्थानी में शिक्षा कब मिलेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे था अनेक सांसदों ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता के लिए पत्र लिखे हैं। क्या इनके पत्रों की कोई अहमियत नहीं है। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथसिंह ने छह मई 2015 को अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के प्रतिनिमंडल से मुलाकात कर वादा किया था कि आगामी मानसून सत्र में राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता दे दी जायेगी।
भाटिया ने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रेमी नड्डा का विरोध करते हुए उनके स्वागत में भाग नहीं लेगें। प्रदेश मंत्री मनोज कुमार स्वामी ने कहा ‘‘जो राजस्थानी भाषा की बात करेगा, वही प्रदेश पर राज करेगा। म्हारै मन में खोट नी ,भाषा नी तो वोट नी।”