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रात्रि भोजन, जमीकंद के त्याग और जूठा न छोडऩे की दी प्रेरणा
बीकानेर। मुनिश्री सुमतिकुमारजी के सान्निध्य में गंगाशहर तेरापंथ महिला मंडल द्वारा ‘स्वस्थ आहार का सेवन, श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षणÓ कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया। मुनिश्री आदित्यकुमारजी ने एक सुमधुर गीतिका के द्वारा महिलाओं को आगे बढऩे की प्रेरणा दी तथा स्वस्थ आहार के द्वारा एक स्वस्थ जीवन कैसे बन सकता है उसके बारे में बताया। मुनिश्री देवार्य कुमारजी ने जैन भोजन के महत्व के बारे में बताया तथा रात्रि भोजन से सम्बंधित एक प्रसंग बताते हुए रात्रि भोजन त्याग करने की प्रेरणा दी।

आहार को विज्ञान के साथ जोड़ते हुए बताया कि कौनसा आहार कब खाना चाहिए तथा एक शुद्ध आहार के सेवन से हमारी कई बीमारियां ठीक भी हो सकती है। मुनिश्री ने शाकाहारी भोजन खाने तथा भोजन को जूठा नहीं छोडऩे और चातुर्मास काल में जमीकंद का प्रयोग नहीं की प्रेरणा दी। मुनिश्री सुमतिकुमारजी ने भोजन के तीन प्रकार बताते हुए कहा की सात्विक भोजन हमारे स्वस्थ जीवन के निर्माण में एक बड़ी ही अच्छी भूमिका निभाता है और जैसे भोजन का सम्बंध हमारे शरीर से है वैसे ही आत्मा का सम्बंध धर्म है। स्वस्थ भोजन-स्वस्थ जीवन इसके लिए हम महिलाएं पूर्ण रूप से जागरुक रहते हुए शुद्ध शाकाहार, शुद्ध मन, वचन, काया से बनाए और परोसे तभी स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज की रचना हो सकती है।

अध्यक्ष- ममता रांका, कविता चौपड़ा, शारदा डागा, संतोष बोथरा, मंजू आंचलिया, संजू ललवानी, मीनाक्षी आंचलिया, सुमन छाजेड़ आदि महिलाएं उपस्थित रहीं।

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