बीकानेर hellobikaner.in सेठ भेरु दान चोपड़ा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में “यूथ एंड इको क्लब” के अंतर्गत 21फरवरी को मनाए गए “मायड़ भाषा दिवस” पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया। विश्व मातृभाषा दिवस की पोस्टर प्रतियोगिता के प्रथम विजेता पवन कुमावत, द्वितीय स्थान पर सत्यनारायण सारण और तीसरे स्थान पर दशरथ राजपुरोहित को पुरस्कृत किया गया।
वही निबंध प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रथम स्थान पर अक्षत ओझा दूसरे स्थान पर वेद प्रकाश और तीसरे स्थान पर विद्यालय के लीलाधर सारण को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार वितरण में विद्यालय के सोहन शर्मा, रजनीश भारद्वाज, महेंद्र रंगा, जगदीश पंचारिया, रामेश्वर लाल बिश्नोई ,किशन सुथार, शिव सुथार, कैलाश प्रजापत, हनीफ मोहम्मद, लक्ष्मी नारायण आदि व्याख्याता साथियों ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया विद्यालय के राजस्थानी भाषा के व्याख्याता अशोक कुमार व्यास ने बताया की मायड़ भाषा मां के दूध के साथ ही पोषित होती है।
इसे सीखने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। हमारी चहुमुखी उन्नति मातृभाषा भाषा की उन्नति के साथ ही संभव है । आज मातृभाषा राजस्थानी में ज्ञान विज्ञान और अन्य तकनीकी शब्दावली के उपयोग और लेखन की आवश्यकता है। नवीन शब्दों से राजस्थानी भाषा को समृद्ध करने की आवश्यकता है। राजस्थानी भाषा का अपना विस्तृत शब्दकोश है साहित्य है साहित्य का इतिहास है साहित्य की सभी विधाओं में निरंतर लेखन किया जा रहा है विभिन्न प्रकार की पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही है।
केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली इसे प्रोत्साहित कर रही है रचनाकारों को पुरस्कृत कर इसके महत्व को सारी दुनिया के सामने ला रही है वही यूजीसी राजस्थानी भाषा में नेट जेआरएफ आदि की सुविधा दे रही है राजस्थान के विभिन्न विश्वविद्यालयों में राजस्थानी भाषा विभाग स्थापित है विभिन्न राजकीय विद्यालयों में एक विषय के रूप में हजारों विद्यार्थी राजस्थानी भाषा का अध्ययन कर रहे हैं सभी राजस्थानियों को आज एक स्वर में देश के समक्ष इसे राजकीय मान्यता देने की बात रखनी चाहिए। हम सभी राजस्थानी हैं । हमारी भाषा राजस्थानी है। जिस प्रकार देश की विभिन्न भाषाएं अपनी क्षेत्रीय गोलियों के समग्र रूप को प्रदर्शित करते हुए राजभाषा का दर्जा रखती हैं वैसे ही राजस्थानी भाषा भी राजकीय मान्यता की हकदार हैं।
कार्यक्रम के समापन व्याख्यान में प्रधानाचार्य प्रदीप कुमार ने दैनिक जीवन की तरह अपनी शैक्षिक उन्नति में राजस्थानी भाषा को जोड़ने और इस भाषा की उन्नति के लिए सामूहिक प्रयास करने पर बल दिया।