अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव चढ़ने के चलते पेट्रोल और डीजल के दाम बीते दिसंबर से ही लगातार बढ़ रहे हैं। बीते दिसंबर से लगातार बढ़ रहीं पेट्रोल और डीजल की कीमतें सोमवार को एक नए स्तर पर पहुंच गईं। सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल के दाम बढ़कर 71.18 रुपये पर पहुंच गए जबकि डीजल के दामों में हुई वृद्धि के बाद यह 61.74 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। अगस्त 2014 के बाद यह इसकी कीमत का सर्वोच्च स्तर है। दाम में हुई वृद्धि का सबसे ज्यादा असर मुंबई पर हुआ है जहां अब पेट्रोल 79.06 रुपये प्रति लीटर के दाम पर बेचा जा रहा है जबकि डीजल 65.74 रुपये पर।
उधर, कच्चे तेल का शोधन करके उसे इस्तेमाल के लायक बनाने वाली सार्वजनिक कंपनियां दामों में और वृद्धि का संकेत दे रही हैं। उन्होंने इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में दामों में आ रही बढ़ोतरी को बताया है। बीते सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 70.05 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई जबकि इसका वायदा भाव (डब्ल्यूटीआई) 64.77 डॉलर प्रति बैरल रहा।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि कीमतों की मार काम करने के लिए केंद्र की तरफ से बीते साल अक्टूबर में ही उत्पाद शुल्क में दो रुपये की कटौती की गई थी जिससे सरकारी राजस्व पर सालाना 26 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी लिखा गया है और राज्यों से भी टैक्स में कमी करने के पर विचार करने की अपील की गई है।
कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के पीछे खाड़ी देशों में जारी राजनीतिक तनाव को एक बड़ी वजह बताया जा रहा है। इसके अलावा तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का उत्पादन में कटौती का फैसला भी इसका कारण माना जा रहा है। ठंड के मौसम में अमेरिका में तेल की मांग बढ़ जाती है जिससे इसकी कीमत में तेजी आती है। भारत तेल के प्रमुख आयातकों में से है. वह कुल इस्तेमाल का 80 प्रतिशत से ज्यादा तेल का आयात करता है. इसलिए जैसे ही कच्चे तेल की कीमतें उबाल मारती हैं तो उसका असर यहां के बाजारों पर भी पड़ने लगता है।