वेटरनरी विश्वविद्यालय में प्रसार शिक्षा परिषद् की तृतीय बैठक आयोजित
पशुपालकों के लिए सामुदायिक रेडियो सेवा प्रारम्भ करेगा राजुवास
बीकानेर,। वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक एवं सामाजिक सराकारों के मद्देनजर बीकानेर में सामुदायिक रेडियो सेवाएं शुरू की जाएगी। राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सूरतगढ़ में विश्वविद्यालय का “सेन्टर ऑफ एक्सीलैंस इन फिशरीज“ की स्थापना की जाएगी। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत की अध्यक्षता में रविवार को आयोजित प्रसार शिक्षा परिषद् की आयोजित तीसरी बैठक में इस आशय के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कुलपति प्रो. गहलोत ने कहा कि संचार के सशक्त माध्यम सामुदायिक रेडियो सेवाएं एफ.एम. रेडियो की तर्ज पर होंगी जिसका लाभ 10-15 किमी. के दायरे में आने वाले सभी कृषकों और पशुपालकों को भी मिलेगा। पशुचिकित्सा शिक्षा और पशुपालन में विद्यार्थियों, फैकल्टी सदस्यों, स्टॉफ सदस्यों और आई.सी.ए.आर. संस्थानों को भी विश्वविद्यालय की शैक्षणिक पाठ्यक्रमों और गतिविधियों को इससे नए आयाम मिल सकेंगे। कुलपति ने बताया कि इन्दिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में कृषक और पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी के लिए मछली पालन एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभर कर आ रहा है। वर्तमान में हनुमानगढ़ व गंगानगर जिले के घघ्घर नदी के बैल्ट में तथा इन्दिरा गांधी नहर के सिंचित क्षेत्र की डिग्गियों में पारपंरिक मछली पालन का प्रचलन है। वैज्ञानिक पालन और प्रशिक्षण कार्यों के लिए वेटरनरी विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र, सूरतगढ़ में “सेन्टर ऑफ एक्सीलैंस इन फिशरीज“ की स्थापना की जाएगी। कुलपति प्रो. गहलोत ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में 35 हजार कृषक और पशुपालकों को पशुचिकित्सा शिक्षा और पशुपालन संबंधित कौशल विकास के प्रशिक्षण आयोजित किये जायेंगे। इस वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय द्वारा राज्य के 17 जिलों में स्थापित संस्थानों व केन्द्रों द्वारा 25 हजार कृषक और पशुपालकों को वैज्ञानिक एवं तकनीकी कौशल विकास के प्रशिक्षण आयोजित किये गए हैं। उन्होंने बताया कि 12 जिलों में वेटरनरी विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र चालू हैं, इस वर्ष पांच नए जिलों में ऐसे केन्द्र खोले जायेंगे। बैठक में सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) और नागौर जिलों में नए पशुपालन डिप्लोमा संस्थान खोले जाने के प्रस्ताव पर सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई। बैठक में विश्वविद्यालय के बीकानेर, जयपुर, वल्लभनगर व 12 जिलों में स्थित वी.यू.टीआर.सी. केन्द्रों पर किसानों के लिए हॉस्टल निर्माण सम्बन्धी प्रस्ताव को परिषद् के सदस्यों ने सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई। प्रत्येक जिले में 120 प्रगतिशील पशुपालक-कृषकों को चिन्हित करके विश्वविद्यालय द्वारा शुरू एस.एम.एस. सलाहकारी सेवाओं व वायस मैसेज से जोड़ने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. आर.के. धूड़िया द्वारा वर्ष 2015-16 का वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रकाशित किये जाने वाले प्रकाशनों की संख्या में वृद्धि कर इसे विश्वविद्यालय के अधिकारित जिलों की प्रत्येक पंचायतों तक पहुँचाने हेतु प्रस्ताव को सभी सदस्यों ने सराहा। इससे पशुपालन की नवीनतम तकनीक को पशुपालकों तक पहुँचाने में गति मिलेगी। बैठक में वैज्ञानिक पशुपालन की गतिविधियों को आम पशुपालकों तक पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालय संचार तकनीक के उपयोग के लिए रिलायन्स फाउन्डेशन के साथ सहभागिता भी निभाएगा। द्वितीय प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक के कार्यवाही प्रतिवेदन को भी इस बैठक में मंजूरी प्रदान की गई। विश्वविद्यालय के 12 प्रशिक्षण केन्द्रों के प्रभारी अधिकारियों द्वारा प्रगति प्रतिवेदन का पावर पॉइंट प्रजेन्टेशन दिया गया। बैठक में वित्त नियंत्रक श्री अरविन्द बिश्नोई, प्रसार शिक्षा परिषद् के सदस्य डॉ. उमेश अग्रवाल, डॉ. जी.एन. माथुर, उरमूल ट्रस्ट के प्रबंधक श्री अरविन्द ओझा, रिलायन्य इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ताहिर सारथलवाला सहित विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर, स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र, जयपुर और वेटरनरी कॉलेज, वल्लभनगर (उदयपुर) के अधिष्ठातागण, महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष, वेटरनरी विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्रों और पशुधन अनुसंधान केन्द्रों. के प्रभारी अधिकारी उपस्थित थे।