हैलो बीकानेर न्यूज़। आज रात बीकानेर शहर में एक आवाज आप को सुनाई देगी वो होगी “ओम ना सुसीसा” मतलब छींकी । बीकानेर में पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा कल यानी 21 फ़रवरी को है। पुष्करणा सावा में विवाह दिवस से एक दिन पूर्व रात को पहले दुल्हन के परिवार के लोग दुल्हे के यहां जाते है फिर दुल्हे के परिवार के लोग दुल्हन के यहां आते है। इस रस्म को छींकी कहा जाता है।
छींकी में दुल्हन और दुल्हा दोनों ही पिले वस्त्र पहनते है। दुल्हने को दुल्हे के परिवार वाले पोखते है और दुल्हे को दुल्हन के परिवार वाले पोखते है। बताया जाता है कि पुष्करणा सावा सैकड़ों साल पुराना है। छींकी को गणेश परिक्रमा भी कहा जाता है।
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कल दोपहर को निकलेगा खिरोड़ा
दुल्हा बारात लेकर आए उससे पहले एक और बड़ी रस्म पुष्करणा समाज के लोगों द्वारा निभाई जाती है जिसे कहते है ‘खिरोड़ाÓ खिरोड़ा लड़की वाले लड़के वालों के यहां लेकर जाते है जिसके साथ कुछ विशेष सामग्री भी होती है। इस खिरोड़े के कार्यक्रम में एक रस्म होती है जिसे पापड़ बोलना कहते है पापड़ पर कुछ विशेष शब्दों से लिखा जाता है और उन्हें लड़के के यहां जाकर बोला जाता है। जैसे ‘पापड़-पापड़ हद बण्यों मोय मोकळी हींग, सवा लाख री बिन्नणी सवा करोड़ रो बिनÓ इस तरह के कुछ शब्द पापड़ पर लिखे जाते है और पण्डितों के द्वारा इनका वाचन किया जाता है।
दुल्हा-दुल्हन के रचने लगे हाथ मेंहदी से
पुष्करणा सावे में जिनकी शादी होने वाली है उन दुल्हा-दुल्हनों के हाथ मेहदी से रचने लगे है। फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेगें का वो गीत मेंहदी लगा के रखना ड़ोली सजा के रखना तो आपने सुना ही होगा। अब उसी तर्ज पर अगर समझा जाये तो शादी से पहले दुल्हा-दुल्हन के हाथों में मेंहदी लगाने का रिवाज होता है। वैसे तो लगभग हर समाज में शादी से पहले दुल्हा-दुल्हन के हाथों में मेंहदी लगाई जाती है।
कल रात को निकलेगी बाराते
बीकानेर में पुष्करणा समाज का यह सावा पहले चार सालों से हुआ करता था लेकिन अब यह सावा दो सालों में होने लग गया है। इस सावें की खास बात यह है कि इस शहर को एक छत माना जाता है। ज्यादातर दुल्हे विष्णु रूप में ही बारात में नजर आते है। इस बार के पुष्करणा सावे में 100 से अधिक शादीयां बताई जा रही है वहीं बीकानेर में दुसरे समाज की शादीयां भी कल यानी 21 फरवरी को होनी है।