बीकानेर hellobikaner.in उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने आज केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत किये गये वित्तीय बजट की आलोचना करते हुए इसे पूर्णतया नकारात्मक एवं असफल बजट बताया है।
मंत्री भाटी ने कहा पिछले एक वर्ष में कोरोना महामारी ने मध्यम एवं निम्न वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी थी, रोजगार एवं उद्योग धंधे तहस, नहस हो गये, श्रमिक वर्ग की हालत बदतर है, किसान सड़कों पर बैठा है, सरहद पर बैठा सैनिक निराश है, युवा वर्ग हताश है, पेट्रोल, डीजल, गैस एवं घरेलू सामग्री की बढ़ती कीमतों एवं महंगाई ने घर का बजट बिगड़ रहा है, किन्तु इस बजट में किसी वर्ग के लिये कोई राहत की उम्मीद दिखाई नहीं देती। मुद्रा स्फिति 9.71 प्रतिशत बताई गई है, जबकि वास्तविकता में अक्टूबर-नवम्बर तक यह 20 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। वित्तीय घाटा 6.8 प्रतिशत से उपर हो गया है।
- करोड़ो युवा रोजगार से वंचित है, उनके लिये कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गये है।
- किसानों के लिये केवल बाते है, धरातल पर कुछ नहीं है। किसान सम्मान योजना का बजट कम कर दिया गया है किसानों की आयु दुगनी करने वाली सरकार ने किसानों की स्थिति के सुधार में कोई प्रयास नहीं किये है।
- पेट्रोलियम उत्पादों से सब्सिडी हटाई गई है, जिससे मंहगाई का और बढ़ना निश्चित है।
- रक्षा क्षेत्र में जहां भारत को चीन व पाकिस्तान निरन्तर घेरने की कोशिश में लगे है। कोई सैनिक तैयारी नहीं दिखती है, रक्षा बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
- शिक्षा किसी देश के विकास की नींव होती है, मगर इस बजट में शिक्षा विकास का कोई खाका दृष्टिगोचार नहीं हो रहा है।
- LIC के निजीकरण के माध्यम से उसे भी प्राइवेट कम्पनियों अम्बानी/अडानी को बेचने की तैयारी की जा रही है। इसी प्रकार अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एवं उनकी सम्पत्तियों को बेचने की तैयारी इस बजट में की जा रही है।
- चना, मटर, दाल आदि खाद्य सामग्री को महंगा किया जा रहा है। ओटो पार्टस, सोलर उपकरण, मोबाईल, प्लास्टिक उत्पाद, इलेक्ट्रोनिक समान आदि पर कर बढ़ाकर उन्हें मंहगा किया जा रहा है। इसका मध्यम वर्ग पर बहुत बुरा प्रभाव होगा।
- वेतन भोगी कर्मचारियों को आयकर सीमा में छुट वृद्धि न देकर उनकी आशाओं पर बहुत कड़ा प्रहार किया है।
सरकार से आम जनता ने बहुत उम्मीदें लगाई थी कि, कोरोना से त्रस्त आर्थिक स्थिति में सुधार, मंहगाई मे कमी, आयकर में छूट, खाद्य सामग्री की दरों में कमी, रोजगार की उपलब्धता, मध्यम वर्ग, किसान, श्रमिक, महिला एवं युवा वर्ग को इस बजट में राहत दी जायेगी लेकिन सभी को इस बजट से घोर निराशा हुई है। केवल शब्दों एवं आंकड़ो की बाजीगरी की गई है। देश के संसाधनों को अम्बानी, अड़ानी जैसे धनाड्यों की बेचने की तैयारी कर रही है, इस बजट में न वर्तमान को सवांरने की तैयारी है न भविष्य के लिये कोई उम्मीद है। यह पूर्णतया असफल बजट है।