जयपुर। सितम्बर (वार्ता) राजस्थान में किसानों को बाजार मूल्य कम होने पर मजबूरी में अब फसल नहीं बेचनी पडेगी। राजस्थान की सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने आज यहां कहा कि किसानों को तात्कालिक आर्थिक आवश्यकता के मद्देनजर कृषि उपज रिण योजना शुरू की गयी है। इसके तहत किसानों को अपनी उपज गोदामों में रखने पर नौ प्रतिशत पर रिण उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों के गाढ़े पसीने से पैदा कृषि उपज का वाजिब दाम दिलाना है। उन्होंने बताया कि किसानों को कृषि कार्य से नियमित मासिक आय नहीं होती है ऐसे में यदि बाजार में उपज का मूल्य कम है एवं उसे पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पैसों की तुरन्त आवश्यकता होने पर मजबूरी में कम दामों पर उपज को बेचना पड़ता है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर किसान की तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उद्देश्य से इस योजना को प्रारम्भ किया गया है।
श्री किलक ने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को उनके द्वारा रहन रखी गई उपज के बाजार मूल्य या समर्थन मूल्य जो भी कम हो के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा तथा मूल्यांकित राशि की 70 प्रतिशत राशि रहन ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए डेढ लाख रुपये तथा बड़े किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण मात्र 11 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना में किसान को 90 दिवस की अवधि के लिए ऋण मिलेगा। विशेष परिस्थितियों में यह सीमा छह माह तक हो सकेगी। निर्धारित समय पर ऋण का चुकारा करने पर किसान को दो प्रतिशत ब्याज अनुदान मिलेगा। इससे किसान को मात्र नौ प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण मिल पाएगा तथा किसान बाजार में सही भाव होने पर अपनी उपज को बेच सकेगा ।
उन्होंने बताया कि किसानों की उपज को सुरक्षित करने के लिए इस योजना को “अ” एवं “ब” श्रेणी की उन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनका नियमित ऑडिट हो रहा हो, लाभ में चल रही हो, एनपीए का स्तर 10 प्रतिशत से कम हो, सरप्लस रिसोर्सेज उपलब्ध हो तथा पूर्णकालिक व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हो। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जीएसएस या लैम्पस के सभी ऋणी एवं अऋणी किसान सदस्य उपज रहन कर ऋण लेने के पात्र होंगे।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भण्डारण क्षमता को बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। सरकार के कार्यकाल में 900 से अधिक गोदामों का निर्माण करवाया गया है। जिससे एक लाख 33 हजार 250 मैट्रिक टन से अधिक की भण्डारण क्षमता में इजाफा हुआ है। इस योजना सहकारी गोदामों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित हो पाएगा।