जयपुर hellobikaner.in मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप राज्य की जेलों में कैदियों के कौशल प्रशिक्षण और पुनर्वास पर आधारित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैैं। उदयपुर केंद्रीय कारागृह में भी कैदियों के प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। इनमें से जेल बैंड एक मुख्य कार्यक्रम है। जेल बैंड नियम के मुताबिक बैंड के लिए बंदियों का चुनाव किया जाता है फिर इन्हें प्रशिक्षण दिलवाया जाता है। वर्तमान में उदयपुर सेंट्रल जेल में 12 कैदियों का हाफ बैंड है तथा पाइप बैंड है, जो आजकल बहुत कम देखने को मिलता है।
सलाखों के बीच गूंजता संगीत
बंदियों ने ‘आउट ऑफ द बॉक्स‘ नाम से अपना एक म्यूजिक बैंड भी बनाया है। आठ सदस्यों वाले इस म्यूजिक बैंड के लीड सिंगर जरनैल सिंह और परमेश्वर व्यास हैं। इस बैंड में गिटारिस्ट रवि दूदानी, चैनसुख की-बोर्ड प्लेयर, बालकृष्ण, ड्रमर संजय, पप्पू, और सुनील शामिल हैं। खास बात यह है कि म्यूजिक बैंड अपने गाने खुद कम्पोज करता है। लीड सिंगर जरनैल सिंह ने बताया कि वो जेल से रिहा होने के बाद गायकी को ही अपने पेशे के रूप में अपनाना चाहेगा। वहीं, परमेश्वर व्यास जेल से रिहाई के बाद म्यूजिक बैंड बनाकर ऎसे प्रतिभाशाली बच्चों और युवाओं को मंच प्रदान करना चाहते हैं, जो संसाधनों के अभाव में अपना हुनर सामने नहीं ला पाते।
जेल बैंड की बढ़ती लोकप्रियता
उदयपुर जेल प्रशासन के अनुसार जेल बैंड की उदयपुर में काफी मांग है। राजकीय कार्यक्रमों के अलावा जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन के कार्यक्रमों के लिए भी जेल बैंड को बुलाया जाता है। निर्धारित दरों पर बुकिंग के बाद बंदियों को बैंड परफॉर्मेंस के लिए बाहर भेजा जाता है। इससे जो पैसा मिलता है, उसका कुछ हिस्सा बैंड में शामिल बंदियों में बांट दिया जाता है और बाकी को राज्य सरकार के बंदी कल्याण कोष में जमा करवाया जाता है। एनजीओ के माध्यम से बंदियों को गायकी के अलावा म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
कोरोनाकाल में ‘ई-मुलाकात ‘ से मिट गई दूरियां
कोरोनाकाल में लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों के चलते बंदियों से परिजनों की मुलाकात संभव नहीं थी। ऎसे में राज्य सरकार के निर्देश पर राज्य के सभी केंद्रीय कारागृहों में कैदियों की परिजनों से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से वर्चुअल मुलाकात के लिए ‘ई-मुलाकात‘ कार्यक्रम शुरू किया गया। उदयपुर सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट राजेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोनाकाल में बंदियों की मुलाकात बंद हो गई थी। तब यह समस्या हो गई थी कि फोन पर बंदी बात तो कर सकता है, लेकिन जब तक बंदी अपने परिजनों को देख नहीं लेता है, तब तक बडे़ असमंजस की स्थिति में रहता है। ऎसे में राज्य सरकार के निर्देश पर बंदियों के लिए ई-मुलाकात की व्यवस्था शुरू की गई। इसके तहत बंदियों के परिजनों को एक ऑनलाइन लिंक उपलब्ध करवाया जाता था। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से निर्धारित समय पर परिजन उस लिंक के माध्यम से पांच मिनट के लिए बंदी से वर्चुअली मुलाकात कर सकते थे, इसका बंदियों पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
दीवारें जेल की, अहसास आर्ट गैलरी का
उदयपुर केंद्रीय जेल, जिसे अब उदयपुर सुधारगृह का नाम दिया गया है के परिसर में कदम रखते ही दीवारों पर लिखे प्रेरक वाक्य, अनमोल वचन, गीता सार एक अलग ही दुनिया का अहसास करवाते हैं। जेल के बारे में आम धारणा यही है कि वहां पर बड़ा भयानक माहौल होता होगा, लेकिन उदयपुर केंद्रीय सुधारगृह की दीवारें किसी आर्ट गैलरी का अहसास करवाती हैं। जेल प्रशासन के सहयोग से वहां एक कैदी साधुराम ने जेल की दीवारों को थ्री-डी पेंटिंग्स से गुलजार कर दिया है। अपराध और अपराधियों की नकारात्मकता के बीच रंगों भरी दुनिया एक नई उम्मीद जगाती है। मुख्य द्वार से लेकर धर्मस्थलों, जेल की दीवारों और कमरों में साधुराम की कारीगरी देखी जा सकती है। पेंटिंग बनाने के लिए आवश्यक कलर, पेंट व अन्य सामग्री जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। जेलर चंदन सिंह ने बताया कि हम चाहते हैं कि जेल में आकर व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हो और वह प्रायश्चित कर सकें तथा जेल के बाहर आने पर एक नई जिंदगी शुरू करे। यही वजह है कि अब केंद्रीय कारागृह भी केंद्रीय सुधारगृह के नाम से जाने जाते हैं।