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राजस्थान में दहशत का दूसरा नाम बन चुका गैंगस्टर आनंदपाल सिंह नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद में जन्मा और जवान होते होते क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया. बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंदपाल का शौक रहा है.

खतरनाक हथियारों पर आनंदपाल प्रदेश के अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने की कोशिश करता रहा. आनंदपाल पर लूट, डकैती, हत्या सहित दो दर्जन से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं.

अपराध के दलदल में ऐसे आया
– आनंदपाल अपराध की दुनिया में बलबीर गैंग की वजह से आया. – कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे.
– दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे, 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी.
– शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई.
– पुलिस के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी.
– विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई.
– बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.
– कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ तो इनके आतंक ने दहशत फैला दी.

कैसे बनता गया कुख्यात अपराधी
2011 तक खुद गोदारा मर्डर, फोगावट हत्याकांड से कुख्यात हुआ.
– आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुआ. तब से उसने अपना क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ाया.
– 2006 में उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी.
– गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है.
– जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था.
– सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया.
– गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है.
– 29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया.
– 2006 से 2011 तक आनंदपाल गुनाह पे गुनाह करता चला गया और कुख्यात बदमाश, पुलिस भगौड़ा मोस्ट वांटेड बन गया.

खुद कभी क्राइम करके सामने नहीं आया
– 2011 के बाद 2015 तक आनंदपाल खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया.
– इस डॉन ने अपराध के तरीके बदल दिए, राजस्थान में एक नए तरह के अपराध को जन्म दिया.
– आनंदपाल ने 10 से 20 युवकों की अपनी गैंग को 200 युवकों की गैंग में तब्दील कर दिया, ये 200 युवक अपने क्षेत्र के दादा कहलाते.
– यानि इन 200 गुर्गों की भी खुद की अपनी गैंग अलग से थी, सब के सब आनंदपाल के भक्त बन गए.
– इसके बाद सिलसिला शुरू हुआ नए तरह के अपराधों का, जो इससे पहले राजस्थान में नहीं हुए थे.
– आनंदपाल गिरोह के करीबी गुर्गे नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों लोगों को चिन्हित करने में जुट गए.
– पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के निकट फागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया.
– इसके बाद आनंदपाल जेल से ही गैंग को चलाने लगा और फिरौती, वसूली, मारकाट का सिलसिला चलता रहा.
– आनंदपाल को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि आनंदपाल ने हवाला, हुंडी के रुपए इस कदर लूटे कि वह करोड़पति बन गया.
-इस दौरान जयपुर-नागौर का मेगा हाइवे बनने लगा, डीडवाना से लेकर कुचमान तक जमीन की कीमत आसमान छूने लगी.
– आनंदपाल ने गुर्गों व बंदूक के दम पर सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया, जो मेगा हाईवे के किनारे थी.
– आनंदपाल ने एक-एक कर दर्जनों व्यापारियों, उद्योगपतियों को निशाना बनाया.
– हालात ऐसे पैदा हुए कि लोग आपसी झगड़े में भी पुलिस की बजाए आनंदपाल की मदद लेने लगे.
– इस गैंग ने जाति का रंग भी दिया, इसे राजपूत और जाटों की लड़ाई का रूप दिया तो नागौर में गैंगेवार के दो गुट बन गए.
– कुछ लोग आनंदपाल से मदद लेते तो कुछ राजू ठेठ से और दोनों ही जेल में बंद थे.

आनंदपाल जेल से गुर्गों की मदद से चलाता था गैंग
– आनंदपाल की गैंग को उसके खास गुर्गे मैनेज करते थे, आनदपाल की फरारी के बाद पुलिस की गिरफ्त में आए गैंग के थिंकटैंक कहे जाने वाले महिपाल उर्फ मोंटी और शार्प शूटर आजाद सिंह ने इसका खुलासा किया.
– इन दोनों ने आनंदपाल के साथ मिलकर प्रदेश की एक दर्जन से अधिक बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था. इसमें हत्या, लूट, सुपारी और जमीनों पर कब्जे के प्रकरण शामिल हैं.
– मोंटी गैंग का सबसे शातिर बदमाश है, उसके पास अपराधों को अंजाम देने के बेहतरीन आइडिया रहते थे.
– मोंटी की गैंग को गाइड करता था कि किस तरह से वारदात को अंजाम देना है और वारदात के बाद आगे क्या करना है.
– पुलिस के हाथों पकड़ा गया आरोपी लक्ष्मण सिंह फरार आरोपियों को अलग अलग ठिकानों पर रूकवाता और उनके
खाने-पीने की व्यवस्था करता था.

जेल में शाही लाइफ जीता था आनंदपाल
– कहते हैं कि जेल से भागने के लिए आनंदपाल ने जेल के डिप्टी से लेकर मुख्य प्रहरी को धन-बल के प्रभाव से काबू में कर लिया था.
– बताया जाता है कि जेल में उसकी एक महिला सहयोगी अनुराधा भी मिलने आती थी.
– अजमेर हाई सिक्यूरिटी जेल के सामने चाय की दुकान चलाने वाले रविकुमार रील ने अपने बयान में बताया था.
– उसकी दुकान से रोज सुबह 5 लीटर दूध व 5 लीटर छाछ, जबकि शाम को 6 लीटर दूध जाता था.
– आनंदपाल के खाते में हर महीने 20 हजार रुपए का दूध-छाछ जेल में पहुंचाए जाते थे.
– अजमेर के रहने वाले महेंद्र सिंह हर सप्ताह इसका एडवांस हिसाब करता था.
– इसमें से आधा से भी ज्यादा दूध कुख्यात कैदी आनंदपाल खुद पीता था.

हमेशा साथ रखता था भारी हथियार
-आनंदपाल खुद के साथ हमेशा हथियारों का भारी असला रखता था. गुढा भगवानदास मुठभेड़ के बाद फोर्च्यूनर कार से 600 कारतूसमिले थे.
-अधिकतर कारतूस एके 47 के थे. गुढा मुठभेड़ में आनंदपाल के पास दो एके 47 सहित अन्य हथियार भी थे.
-इससे पहले जब कुचामन थाने के हैड कांस्टेबल फैज मोहम्मद की हत्या के दौरान भी उसके गुर्गे के पास से एके 47 सहित बड़ी मात्रा में कारतूस मिले थे.

साभार : न्यूज़ 18 राजस्थान

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