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कोटा। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आकाशवाणी में वर्षों से अपनी सेवाएं देते आ रहे कैजुअल अनाउंसर एन्ड कम्पीयर्स का धरना गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। आकाशवाणी केंद्र कोटा के प्रोग्रामीग हैड इन अस्थाई कर्मचारियों को आकाशवाणी का हिस्सा मानने से इंकार कर रहे हैं।
कोटा आकाशवाणी केन्द्र पर अस्थाई रूप से वर्षों से कार्यरत रेडियो कैजुअल आनाउंसर एन्ड कम्पीयर्स को पूर्व में एक माह में 5 या 6 बार अपनी सेवाएं देने का मौका मिला करता था। इसके बाद प्रसासन ने षड़यंत्रकारी नीति अपनाते हुए इन पर नए नियम लगाने शुरू कर दिया। जिसका विरोध करने पर इन कर्मचारियों को मिलने वाला कार्य बंद कर दिया गया, इस मामले में कोटा के 53 कैजुअल आनाउंसर व कम्पीयर्स सहित राज्यभर के कर्मचारियों को न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ा। केजुअल आनाउंसर एण्ड कम्पीयर्स के स्थाईकरण का मामला कोर्ट ने विचाराधीन है। न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय आने तक उन्हें कार्य उपलब्ध कराने की बात कही थी, किन्तु कोर्ट के आदेशों से बोखला, आकाशवाणी जयपुर निदेशालय द्वारा कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए इन कर्मचारियों के कार्य पर रोक लगा दी। इसके विरोध में आकाशवाणी में अस्थाई रूप से कार्यरत कर्मचारियों ने उग्र आंदोलन करते हुए तीन दिवसीय धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। धरने के दूसरे दिन कर्मचारियों के परिजन ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर उनका साथ दिया। उन्होंने अकाशवाणी प्रसासन को तीन दिवस बाद भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी। इस दौरान ऑल इंडिया रेडियो केजुअल आनाउंसर एन्ड कम्पीयर्स यूनियन, इकाई कोटा के अध्यक्ष जुगल चौधरी, तरन्नुम नाज, प्रथमा सौनी, विभा टेलर, नसीबन, अर्चना, श्रोता संघ के रवि, नीता, एचबीए प्रसीडेंट मिता जेठवानी ने सभा को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने आकाशवाणी केन्द्र जयपुर द्वारा उन्हें हटाये जाने वाले पत्र को सार्वजनिक करने की मांग की।
आकाशवाणी प्रोग्राम हैड दिनेश गोस्वामी का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं आता, हमारा काम मध्यस्था बनाएं रखने का है। इनकी जो भी मांगे है उन्हें आकाशवाणी महानिदेशालय जयपुर तक भेजा जाएगा। यह आकाशवाणी केन्द्र के कर्मचारी नहीं है, इनसे अस्थाई रूप से कार्य लिया जाता है जिसका भुगतान आकाशवाणी द्वारा किया जाता है। कोर्ट का आदेश आने तक इन्हें धैर्य से काम लेना चाहिए।

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