हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in, बीकानेर। शहर बीकानेर के लिए अनेकों कवियों ने कई कविताएं लिखी जो बिकानेरियत को बयां करती है। यहाँ की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, मौज-मस्ती और त्यौहार पूरे विश्व में बीकानेर को अपनी अलग पहचान दिलाते है।
बीकानेर का निवासी अगर बाहर रहने लग जाता है तो उसे समय-समय पर बीकानेर याद जरुर सताती है क्युकी यहाँ 12 महीनों में कोई न कोईं ऐसा कार्यक्रम होता ही जो यादगार बन जाता है। ऐसे में फरीदाबाद में रहने वाली बीकानेर की बेटी रुचिका जोशी ने बीकानेर पर रच दी ऐसी कविता जो आजकल सोशल मीडिया पर सुर्खियाँ बटोर रही है बीकानेरी मिट्टी का प्रेम, बीकानेर से दूर रहते हुए लिखा है की ओ शहर बीकाणा थारी याद घणी आवे …
आपको बता दें रुचिका जोशी संजय जोशी और विजय लक्ष्मी जोशी की पुत्री है। रुचिका हाल फरीदाबाद में एसिक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की छात्रा है। रुचिका ने अपनी इस कविता में बीकानेर शहर के अंदरूनी क्षेत्र के रहन सहन से लेकर बीकानेर के कोटगेट सहित त्यौहारों पर प्रकाश डाला है। शोशल मीडिया पर यह कविता बीकानेर के लोगों के अलावा अन्य शहर में रहने वाले लोगों को भी पसंद आ रही है।
जन कवी हरीश भादाणी, शायर अजीज आजाद, लक्ष्मी नारायण रंगा सहित कई दिवंगत कवियों और शायरों ने बीकानेर की संस्कृति और रहन सहन पर अनेकों कविताएँ लिखी जिससे बीकानेर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखने लगा। अगर हम आज के दौर की बात करें तो संजय आचार्य वरुण, बाबू लाल छंगानी, शायर इरशाद अजीज, शशांक शेखर जोशी सहित अनेकों साहित्यकारों ने बीकानेर पर अनेकों कविताएँ लिखी है जिसमें बिकानेरियत झलकता है।
बीकानेर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है बीकानेर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चूका है। लेकिन जब फरीदाबाद में रहने वाली मेडिकल की छात्रा रुचिका जोशी अपने शहर के लिए लिख सकती है तो शायद बीकानेर के अलग अलग क्षेत्र में काम करने वाले या पढने वाले छात्र व छात्रा भी लिख सकते है। हमने इंतज़ार रहेगा अगले उस नए लेखक का जो बीकानेर के लिए लिखे।