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बीकानेर संकल्प नाट्य समिति बीकानेर द्वारा शायर रंगकर्मी स्व. आनंद वी. आचार्य की स्मृति में त्रिदिवसीय नाट्य समारोह के समापन के अवसर नाटक ‘‘इस रात की सुबह नहीं’’ का मंचन टॉऊन हॉल बीकानेर में अशोक जोशी के निर्देषन में हुआ।

 

यह नाटक एक पात्रिय लिखा गया है। नाटक ‘‘इस रात की सुबह नहीं’’ में विजय श्रीवास्तव एक ईमानदार सब-इन्सपेक्टर है और बड़ी निष्ठा से अपनी पुलिस की नौकरी का फर्ज निभाता है। लेकिन सत्ता में बैठे एक बड़े नेता के बेटे को एक लड़की के बलात्कार के आरोप में वह उसे गिरफ्तार कर लेता है। तब स्वयं विजय श्रीवास्तव के जीवन में भी भूचाल आ जाता है और इस एकल नाटक में उसी विजय श्रीवास्तव की कहानी परत दर परत खुलती जाती है।

सब-इन्सपेक्टर विजय श्रीवास्तव के किरदार में सागर लीला चौहान ने अपने अभिनय से सभी रंगदर्षकों को बांधे रखा। नाटक के निर्देषक अशोक जोशी के अनुसार एक एकल नाटक में केवल एक ही अभिनेता मंच पर अपनी कथा कहता है उस स्थिति में दर्षकों को बांध कर रखना एवं उसका निर्देषन भी किसी चुनौति से कम नहीं होता हालांकि अषोक जोषी ने खुद भी स्व. आनंद वी. आचार्य के निर्देषन में इस नाटक में सब-इन्सपेक्टर विजय श्रीवास्तव की भूमिका निभाई थी। फिर भी एक चुनौतिपूर्ण कार्य लगा। इस नाटक के मंच पार्ष्व में सुरेष पुनिया, रामसिंह शेखावत, वरूण गौड़ ने अपना सहयोग दिया। नाटक के अंत में जी.एस.टी. विभाग के संयुक्त आयुक्त देव कुमार के द्वारा निर्देषक अषोक जोषी को शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

स्व. आनंद वी. आचार्य की स्मृति में होने वाले इस त्रिदिवसीय नाटक के समापन पर पिछले वर्ष की परम्परा ‘‘रंग आनंद अवार्ड’’ को संस्था द्वारा आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष का ‘‘रंग आनंद अवार्ड’’ वरिष्ठ रंगकर्मी एस.डी. चौहान को नोखा विधायक बिहारी लाल विष्नोई के हाथों संस्था अध्यक्ष विद्यासागर आचार्य के सानिध्य में दिया गया।

 

इस अवार्ड में रू. 11,000/- नगद एस.डी. चौहान को श्रीफल एवं शॉल ओढ़ाकर से सम्मानित किया गया। वरिष्ठ रंगमकर्मी प्रदीप भटनागर ने एस.डी. चौहान के बारे में जानकारी दी कि ’’उन्होनें रंगमंच में 300 से अधिक नाटक एव कई हिन्दी व राजस्थानी फिल्मों में काम किया है। इसके अलावा रंगमंचीय सारी विद्याओं में तो सिद्धहस्त है हीं लेकिन माईम विद्या के मास्टर हैं और हमें भी उनसे सीखने को कई अवसर मिलें हैं।’’ इस अवसर पर एस.डी. चौहान भावूक हो गये उनकी आँख नम हो आई और उन्होनें कहा कि ’’मैं भले ही जयुपर चला गया लेकिन मेरा मन अभी भी बीकानेर में ही रहता है।

 

नोखा विधायक बिहारी लाल बिष्नोई ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि ’’रंगमंच का कलाकार अपनी प्रस्तुति से गागर में सागर भर देता है और कहा कि मैं कभी स्व. आनंद वी. आचार्य से नहीं मिला लेकिन इस ‘‘रंग आनंद’’ के मंच के माध्यम से मैं उनसे दो वर्षों से लगातार मिलने का मौका पा चुका हूँ।’’ समिति की तरफ से मधु आचार्य आषावादी एवं धीनेन्द्र आचार्य ने आभार प्रकट किया। धीरेन्द्र आचार्य ने कहा कि रंगकर्मी और सैनिक में समानता होती है। ‘‘रंग आनंद’’ त्रिदिवसीय नाट्य के समापन के अवसर बीकानेर के कई वरिष्ठ एवं युवा रंगकर्मियों के साथ-साथ रंगदर्षकों ने भी खुब आनंद लिया।

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