हैलो बीकानेर न्यूज नेटवर्क, www.hellobikaner.in, बीकानेर। जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का 11 जून को नगर भ्रमण करेंगे। नगर भ्रमण यात्रा जूनागढ़ के गणेश मंदिर से शाम 6 बजे शुरू होगी, जो गोपेश्वर बस्ती के जंगलेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित शिव-शिवा सदन तक पहुंचेगी।
नगर भ्रमण में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज रथ पर निकलेंगे। नगर भ्रमण यात्रा जूनागढ़ से केईएम रोड़, कोटगेट, दाऊजी रोड़, तेलीवाड़ा, मोहता चौक, मरुनायक चौक के रास्ते लक्ष्मीनाथ मंदिर तक और वहां से जंगलेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचेगी।
यहीं पर 12 जून को धर्मसभा होगी। सनातन धर्म रक्षा मंच के संतोषानंद सरस्वती ने बताया कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के मीडिया प्रभारी अशोक साहू शनिवार को आयोजन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहुंचे। साहू ने अायोजकाें से मुलाकात कर धर्मसभा स्थल और नगर भ्रमण यात्रा के मार्ग की जानकारी ली।
सुरेंद्रसिंह राजपुरोहित ने बताया कि पार्षदों और भाजपा नेताओं को युद्धवीर सिंह, पार्षद सुधा आचार्य, बाला स्वामी, शिवलाल तेजी, मुकेश ओझा आदि ने धर्मसभा का निमंत्रण दिया। कम्यूनिटी वेलफेयर सोसायटी के कन्हैयालाल भाटी ने बताया कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पहली बार बीकानेर आ रहे हैं। नगर भ्रमण के दौरान जगह-जगह पर उनका स्वागत किया जाएगा। शनिवार को राजकुमार किराड़ू ने कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले जिम्मेवारियां सौंपी। इस मौके पर वरुण शर्मा और कमल भांभू आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
गंगा अौर गाय के लिए जगद्गुरु का समर्पण प्रेरणादायी : संतोषानंद सरस्वतीजी महाराज
संतोषानंद सरस्वतीजी महाराज ने बताया कि गंगा बचाओ आंदोलन, गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने एवं गोरक्षा के लिए जगद्गुरु का समर्पण प्रेरणादायी है। संतोषानंद महाराज ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि गाय को रामा कहा जाए, रा का अर्थ राष्ट्र और मा का अर्थ माता (मां) हो। इन्हीं प्रेरणादायी और धर्म व संस्कृति की रक्षा का संदेश देने बीकानेर पधार रहे है।
नंदोत्सव मनाया, जय कन्हैयालाल की… उद्घोष से गूंजा पांडाल
जगद्गुरु के आगमन से पूर्व आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करते हुए मरुनायक व्यास पीठाधीश्वर पंडित भाईश्री ने सौभरी ऋषि की कथा सुनाते हुए बताया कि जिसे मोक्ष की इच्छा है उस पुरुष को चाहिए कि वह भोगी प्राणियों का संग सर्वथा छोड़ दे और एक क्षण के लिए भी अपनी इंद्रियों को बहिर्मुख न होने दे। अकेला ही रहे और एकांत में अपने चरित्र को सर्वशक्तिमान भगवान में ही लगा दे यदि संग करने की आवश्यकता ही हो तो भगवान के अनन्य प्रेमी निष्ठावान महात्माओं का ही संग करें। शनिवार को कथा वर्णन में राजा महर्षि चय्वन और सुकन्या का चरित्र, नाभाग और अंबरीश की कथा, दुर्वासाजी की दुख निवृत्ति, राजा हरिश्चंद्र की कथा, सागर चरित्र और गंगा अवतरण एवं भगवान श्रीराम की लीलाओं का वर्णन कर सुनाया। भगवान कृष्ण जन्म का वर्णन करते हुए पंडित भाईश्री ने बताया कि माता के चरणों में नित्य स्वर्ग निवास करता है,माता से बड़ा संसार में कोई नहीं होता इसलिए संतान को चाहिए सदैव माता-पिता की आराधना करते रहे ताकि जीवन में कभी कोई भी कष्ट उन्हें प्राप्त नहीं हो। नंद उत्सव मनाते समय पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ऐसे उद्घोष से गूंज उठा और कथा विश्राम पर पंचामृत तुलसी फल आदि का सभी भक्तों में वितरण किया गया। कथा के मुख्य यजमान पूनम चंद चौधरी रहे। इस मौके पर कमल कल्ला, उमा करल, गिरिराज किराड़ू का आतिथ्य रहा।