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बीकानेर। चर्म रोग का होम्योपैथी मे जड़ से निवारण का अचूक इलाज है, यधपि लोगो मे ये भ्रांतियां है कि होम्योपैथी इलाज धीमा / मन्द गति होता है , लेकिन आज के परिवेश मे होम्योपैथी चिकित्सको ने अपनी मेहनत से अच्छे, तिर्वगति इलाज से ये धारणा सरासर रद्द कर दी है, आज होम्योपैथी नीम-हकीमो की पैथी नही बल्कि स्नातक/ स्नातकोतर/ पी.एच्. डी (PHD) स्तर तक अध्ययनशील पैथी के रूप मे उभर कर सामने आ रही है

बारिश के मौसम में त्वचा रोगों में वृद्धि हुई है। फंगस इंफेक्शन लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। बारिश में भीगनें के बाद गीले कपड़े पहनना इसका मुख्य कारण बनकर उभरा है। खतरनाक बात यह है कि इस बीमारी की प्रतिरक्षण क्षमता में तब्दीली आ रही है जो कि चिकित्सकों के लिए भी किसी चिंता से कम नहीं है। इसका कारण यह है कि बिना किसी पैमाने के दवाओं का प्रयोग। सर्दियों की अपेक्षा इस मौसम में फंगस वाले मरीजों की ओपीडी चार गुना बढ़ जाती है। यह इंफेक्शन दाद जैसे दिखने वाला है लेकिन उससे कहीं ज्यादा घातक है। इसके प्रभाव में आने पर जान निकाल देने वाली खुजली होती है यह बीमारी एक बार लग जाए तो बिना उपचार इस पर काबू नहीं पाया जा सकता है। कभी कभी तो दवा के बाद भी फंगस के निशान शरीर पर रह जाते हैं। ऐसी बीमारी से बचने के लिए बारिश में इंसान को स्वयं जागरूक होना चाहिए ।

फंगस  रोग के लक्षण :-

  1. त्वचा का हिस्सा नरम व सफेद हो जाना ।
  2. त्वचा में लाल या बैंगनी रंग के चकत्ते हो जाना।
  3. त्वचा में पपड़ी पड़ना और खाल का उतर जाना।
  4. प्रभावित स्थान से सफेद पाउडर जैसा पदार्थ निकलना।
  5. मुंह के अंदर लाल व सफेद रंग के घावों का हो जाना।

फंगस होने के कारण :-

  1. बारिश में ज्यादा देर तक भीगने या पानी में रहने पर।
  2. भीगने के बाद गीले कपड़े पहने रहने से फंगस हो सकता है।
  3. अत्याधिक दवाओं के सेवन करने से आप प्रभाव में आ सकते हैं।
  4. खुजली वाले दाने पड़ने के बाद फंगस का रुप ले सकते हैं।
  5. हरी सब्जी का सेवन न करने से भी आप चपेट में आ सकते हैं।
  6. गर्मी में टाइट कपड़े पहनने से भी आपको यह समस्या हो सकती है।
  7. कोई पुरानी असाध्य बीमारी होने पर (मधुमेह, थाइरोइड, एड्स अन्य जिसमे रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हो )

फंगस से बचाव के प्रमुख उपाय :-

  1. पसीना आने पर खुजली होती है तो बार बार खुजली न करें।
  2. अगर पसीना ज्यादा आता है तो उसे बार-बार पोंछते रहें।
  3. नहाने के बाद शरीर सुखाकर ही साफ सुथरा कपड़े पहने।
  4. ज्यादा देर बारिश में न भींगे, अगर भींग जाए तो सूखे कपड़े से शरीर पोछें।
  5. गर्मी में प्रयास करें कि ढीले कपड़े पहने और पसीने से भीगनें पर धोंऐ।

होम्योपैथीक इलाज :- होम्योपैथी शरीरिक मानसिक और आध्यत्मिक लक्षणो के आधार पर किसी भी रोग को मूलरूप से सही करने मे सक्षम है । चर्म रोग के लक्षणो के आधार पर सल्फर, आर्सेनिक एल्बम, काली बाइकार्बोनेट , ग्राफिटिस, हिपर सुल्फुरिकुम , पेट्रोलियम, एसिड नाइट्रिकम, एसिड फोस्फोरिकम, अंटीम क्रूड, अंतिम फोस, क्रोटन टीग, डालकामरा, रुस्टोक्स, बेलाडोना, मार्क सोल, जैसी अन्य कई दवाइयां काम मे आती है ।

-डॉ यासिर मिर्ज़ा/डॉ रुबीना मिर्ज़ा                                                                                               एम. डी.  स्कॉलर (रिपर्टरी विभाग)/ बी.एच. एम. एस., एम.डी (ए.एम)
एम.एन. होम्यो. मेडिकल कॉलेज , बीकानेर

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