आकांक्षा पुरोहित

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हैलो बीकानेर hellobikaner.in आकांक्षा पुरोहित “विचार”, जहां एक ओर सम्पूर्ण बीकानेर में वर्षा के कारण त्राहि-त्राहि मचा है वहीं छोटे से गंगाशेहर में आकांक्षा पुरोहित ने सूर्य की अठखेलियों का अनूठा वर्णन किया है।

सूरज की अठखेलयां
भोर हुई तो छत की मुंडेर पर खड़ी
नजर मेरी आसमान पर पड़ी
मैने एक बालक स्वरूप को मुझे चिढ़ाते देखा है
मैने सूरज की अठखेलयां करते देखा है
लोगों की बातें मेरी कानों में पड़ी
कला तो केवल कृष्ण और शशि की
किंतु मैंने सूरज को भी शर्माते देखा है
हां मैंने सूरज को अठखेलियां करते देखा है
सर्व प्रथम उसकी आंखे शर्म से लाल पड़ी
गालों पर भी केसरिया छाया पड़ी
मैने सूरज को मुस्कुराते देखा है

हां मैने………
पहले वो बिल्कुल चांदी का सिक्का दिखाई पड़ा
कुछ ही देर में दिखा वो सोहन थाल
मैने सूरज को रूप बदलते देखा है
हां मैने……….
कुछ ही समय के उपरांत ये क्या
वो आग बबूला हो मुझ पर ही बरस पड़ा
मैने सूरज को संघर्ष करते देखा है
हां मैने……….
धीरे धीरे उसके रश्मि रथ
आ रहे है धरती पर मानो कोई वीर भूपति साम्राज्य विस्तार कर रहा धरा पर
मैने उसकी किरणों को तम से युद्ध लड़ते देखा है
हां मैंने……….
अंत में सिर पर आ चढ़ा वो
कहा मुझसे क्यों खड़ी यहां हो
संघर्ष करो मेरी तरह
मैने उसके आगे तमंस की घुटने टेकते देखा है
हां मैंने सूरज को अठखेलियां करते देखा है
(आकांक्षा पुरोहित)

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