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हैलो बीकानेर। ‘‘वाह रे देश हमारा, वाह रे कानून हमारा, धारा बहाने पर पर भी धारा’’ ‘‘अरे जब हम लोग किसी भगौडे को वापिस नही ला सके तो चॉद की सरकार क्या खाक लायेगी।’’ ‘‘ अगर कोई मरा है तो किसी न किसी को सजा होनी जरूरी है, सजा मुलिजम को हो या किसी और को सूली पर तो ईश्वर ही चढेगा’’ जैसे हास्य एवं व्यंग से ओत प्रोत चुटीले संवाद जब कलाकरों द्वारा मंच से बोले जाने लगे तो पुरा टाऊन हॉल तालियों की गडगाड़हट एवं हंसी से गुंज उठा, अवसर था संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली एवं संकल्प नाट्य समिति बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में हरीशंकर परसाई की रचना पर आधारित नाटक ‘‘इन्सपेक्टर मातादीन चॉद पर’’ के मंचन का। इस रचना का नाट्य रूपान्तरण किया है गिरिश पुरोहित ने एवं इस नाट्य कृति का निर्देशन किया आनन्द वि. आचार्य ने।

परसाई की 1968 में प्रकाशित यह रचना आज भी समसामविक है। यह नाटक पुलिस व्यवस्था पर ही नहीं वरन् सामाजिक, राजनैतिक विदृप्ताओं पर भी करारा व्यंग्य करता है।

मंच पर:- जसदेव सिंह-मातादीन, वसीम राजा-पुलिस मंत्री, दीपांशु पाण्डे-सुत्रधार, अक्षय सियोटा-थानेदार, दीपांकर चौधरी-सिपाही, आमिर हुसैन-सिपाही, राहूल चावला-सचिव, दीवाकर खत्री-सिपाही, रोहित सिंह-फोटोग्राफर, अशोक सोनी-आई.जी., नीरज उपाध्याय-यानचालक एवम् अहमद हारून कादरी-गायक

मंच पार्श्व:- बुलाकी शर्मा, वेशभूषा – मंच सज्जा:- जय मयूर टाक, ध्वनी मुद्रण:- जयकमल स्टूडियो, प्रकाश प्रभाव:- सुरेश आचार्य, संगीत प्रभाव:- लक्षित पाराशर, पार्श्व गायन:- अहमद हारून कादरी, पार्श्व स्वर:- आनन्द वी आचार्य, रामसहाय हर्ष, यशु भादाणी, ट्रेक निर्माण:- विनोद रांका एवम् प्रेक्षागृह प्रबन्धन:- अभिषेक आनन्द आचार्य

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