Share

हैलो बीकानेर,अविनाश के.आचार्य,सादुलपुर। यह सत्य अवधारणा है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है। ऐसा ही हुआ सेवानिवृत प्रधानाध्यापिका स्व.श्रीमति विजय लक्ष्मी आचार्य की भावना के साथ। जैसा कि आमतौर पर महिलाओं की हार्दिक यही तमन्ना होती है कि वह सुहागन ही परलोकगामी बने। ऐसी ही भावना थी श्रीमति आचार्य की जिनकी 13 जुलाई को अपनी शादी की 51वीं सालगिरह पर श्रीमति विजय आचार्य अपने पति रविशंकर आचार्य के साथ अपनी सास श्रीमति गीता देवी एवं चाचा ससुर लक्ष्मीनारायण आचार्य से आशीर्वाद लेने के पश्चात् ससुराल के निकट स्थित प्राचीन लक्ष्मीनाथ जी मन्दिर में शीश नवाने गई तथा पूजन धोक के बाद मैडम विजय आचार्य ने अपनी भावना को प्रार्थना के रूप में भगवान के समक्ष रखा कि मुझे सुहागन के रूप में अपने पति के हाथो से परलोकगामी यानि स्वर्गवासी करना। वहां साथ ही पास खड़े पति रविशंकर ने भी सहदयता से कहा कि भगवान जिसमें मेरी अद्र्धागिनी की इच्छा खुशी हो वैसी ही मनोकामना पूरी करना। श्रीआचार्य दम्पति की दिल की भावना को भगवान ने भी महत्वपूर्ण माना तथा ईश्वरीय चमत्कार के प्रति रूप में पांचवे दिन यानि 18 जुलाई को उस भावना को पूरा कर दिया। मैडम श्रीमति विजय आचार्य सुहाग श्रृंगार के साथ अपने पति के हाथो से ही देव लोक के लिए विदा हो गई ओर पीछे छोड़ गई ढेर सारी सुनहरी मधुर यादे जो हद्धय पटल पर ताजा रहेगी। ध्यान रहे कि राजगढ़ के श्रीआचार्य परिवार की ज्येष्ठ बहुरानी विजय लक्ष्मी ने परिवार, समाज, ससुराल व निवास के आस पास रहने वाले परिवारो तथा अपनी शिक्षण संस्था, विद्यालय स्टाफ व छात्र-छात्राओं से आत्मतीया के साथ मधुर रिश्ता कायम रखा।

About The Author

Share

You cannot copy content of this page